
आज का दिन इतिहास में सुनहरे अक्षरों से संयोजित कर संविधान में दर्ज किया गया है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई 1947 भारत के संविधान द्वारा अपनाया गया था। जिसे हम भारतीय "राष्ट्रीय झंडा अंगीकरण दिवस" के रूप में मनाते है। जँहा भारत का संविधान 22 जुलाई को गौरव के साथ स्वर्णिम दिन के रूप में याद करते हैं वहीं दूसरी दिशा में भारत के 29 परिवारों के द्वारा इसी दिन (22 जुलाई ) को काले दिन के रूप में 1 साल से याद किया जा रहा है। क्योंकि 22 जुलाई 2016 को 29 परिवारों ने अपने घर के लाल को लापता पाया था। माँ ने अपनें बेटे ,बहन ने भाई ,पिता ने अपने बेटे,बेटे ने अपने पिता और पत्नी ने अपनें पति से दूर जाकर देश सेवा के लिए भारतीय वायुसेना विमान AN 32 से उड़ान भरी थी लेकिन उड़ान इतनी लम्बी हुई की परिवार से लेकर भारत सरकार भी इस उड़ान तक पँहुच नही पाया। भारतीय वायुसेना का AN 32 विमान शुक्रवार 22 जुलाई 2016 को चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर लौट रहा था जो सप्ताह में तीन बार कूरियर लेकर जाता था। लेकिन तमिलनाडु के ताम्बरम से अंडमान के लिए सुबह साढ़े आठ बजे उड़ान भरने के घण्टे भर के भीतर ही राडार से गायब हो गया ।
एएन-32 ने सुबह 8.30 बजे उड़ान भरी. इसे पोर्ट ब्लेयर 11.30 बजे पहुंचना था. लेकिन ठीक आधे घंटे बाद ही 9.00 बजे इसका एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल (एटीसी) से संपर्क टूट गया। और संपर्क इस तरह टूटा की आज तक उस विमान से किसी भी तरह का संपर्क नही जुड़ पाया। लेकिन भारत देश की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि
भारत के राजनेता हर छोटे मुद्दे पर अपनी आवाज़ को बुलंदी के साथ उठाते है। देश के लिए अहित में किये जाने वाले बिल के लिए संसद में नेता हंगामा करता है लेकिन विमान लापता होने के बाद उन्तीस जवानों के लिए संसद में किसी नेता ने आज तक आवाज नही उठाई। अपनी-अपनी पार्टियों को देशप्रचलित करनें के लिए पार्टी कार्यकर्ता सड़क आंदोलन हर दिन करतें है लेकिन जब देश सेवा कर रहें जवानों की बात आती है तो किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता सड़क पर नही दिखते। ये बात तो आईने की तरह साफ़ है अगर ये 29 जवान, नेताओं के वोटबैंक होते तो अभी तक प्रत्येक पार्टी द्वारा सहानभूति का पिटारा लेकर 29 जवानों के परिजनों से मिलकर देश में विमान लापता होने पर जमकर भाषणबाजी की जा रही होती। लेकिन किसी भी पार्टी का इन 29 जवानों से वोटबैंक और निजी स्वार्थ ना होने के कारण आजतक AN-32 लापता विमान को मुद्दा भी नही बनाया गया। लेकिन रक्षा मंत्री होनें के कारण मनोहर पर्रिकर ने इस संबंध में विमान के लापता होते ही छह दिन पश्चात राज्य सभा में जानकारी दी थी और कहा था "विमान में संवेदनशील मौसम की जानकारी देने वाली रडार प्रणाली मौजूद थी. विमान चालक ने बिजली और तेज बारिश के कारण विमान को दाहिने ले जाने की अनुमति मांगी लेकिन तुरंत यह बायीं ओर मुड़ गया और 23,000 फ़ीट की ऊंचाई से समुद्र में गिर गया. लेकिन उसके बाद किसी तरह की कोई तत्काल सूचना नहीं मिली. रडार से ओझल होते हुए यह तुरंत लापता हो गया. ये बात सबसे परेशान करने वाली है."।लेकिन उससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि हमारे द्वारा चाँद और मंगल में तिरंगा लहराया गया है लेकिन भारत के तिरँगे की शान को बचाये रखने वाले जवानों के लापता होनें के एक साल बाद भी पता नही लगाया जा सका है। इसरो से लेकर नासा तक AN-32 को खोज रहे सभी सेटलाइट की लाइन अब डेडलाइन हो गई है। हमारे देश के लिए इससे बुरा दिन और क्या हो सकता है कि विमान की एक पिन तक को ढूंढने में हमारा देश पूरी तरह असफ़ल रहा। भारत सरकार ने विमान खोज पर अपनी रोक जरूर लगा दी लेकिन उन परिवारों का क्या जो आज भी अपनें बेटे-बेटियोँ का राह ताकते है और भगवान से प्रार्थना करते है कि कोई चमत्कार हो जाये और हमारे घर का चिराग़ फिर जल उठे।
AN-32 विमान लापता होने की हेडिंग मैन आज से एक साल पहले किसी अखबार में पढ़ी थी लेकिन मेरे मित्र अश्वनी झा ने बताया कि मेरें मामा राजीव रंजन जोकि बिहार के मधुबनी के रहनें वाले थे वो भारतीय वायुसेना में फ्लाइट इंजीनियर थे और 22 जुलाई 2016 में लापता हुए एएन-32 विमान में राजीव रंजन बतौर फ्लाइट इंजीनियर मौजूद थे।
उनके पत्नी और बच्चे कोयम्बटूर में रहते हैं और माता-पिता,भाई-बहन,बुआ सभी एक साथ सौरठ में रहते है। लेकिन जबसे पता चला की उनके वास्तव के नायक जिस विमान में थे वो विमान लापता है तब से आजतक उनके वापस आने की उम्मीद में प्रत्येक दिन घर के बाहर इंतजार करतें रहते है। लेकिन उनके परिवार को भारत सरकार से अभी तक विमान की खोज संबंध में एक भी संदेश नही आया है।
टेक्नीशियन के पद में कार्यरत थे। उत्तरप्रदेश गाजीपुर के छेदी यादव व उत्तरप्रदेश के देवरिया के रघुवीर वर्मा भी एएन-32 में तैनात थे। उधमपुर के 26 वर्षीय लांसनायक लक्ष्मीकांत त्रिपाठी तथा पंजाब के 23 वर्षीय नवजोत सबसे कम उम्र के जवान थे। जब भारत के चहुँओर बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ का नारा गूँज रहा हो वंही दूसरी ओर हरियाणा की 26 वर्षीय बेटी लेफ्टिनेंट दीपिका भी लापता विमान एएन-32 में उपस्थित थी। दीपिका ने 2013 में एयरफोर्स में लेफ्टिनेंट पद पर आसीन हुई थी और 22 नवम्बर 2015 को शादी करके किसी घर की लक्ष्मी भी बनी थी लेकिन आजतक अपनें घर मे वापस नही आ सकी। इस तरह के ना जानें भारत में कितने परिवार है जो हरदिन बेबसी,दर्द में जी रहें है।
विमान के लापता होने के क्या कारण हो सकतें है?

1.क्या 26 साल पुराना होने की वजह से ये दुर्घटनाग्रस्त हो गया ?
2. क्या विमान ऑटोपायलट मोड में था जिससे इसका नियंत्रण बिगड़ने से यह बंगाल की ख़ाड़ी में डूब गया?
3.समुद्र में डूबने के बाद विमान का कोई सुराग क्यों नहीं मिल रहा?
4. क्या विमान का बीकन इसलिए काम नहीं कर रहा था क्योंकि विमान काफी पुराना था?
5.अब तलाशी और बचाव अभियान दल के सामने और क्या विकल्प बचे हैं?
अगर तलाशी और बचाव अभियान के अगर कोई भी विकल्प नही बचें तो क्या भारत सरकार द्वारा 29 जवानों को "शहीद" का दर्जा दिया जाएगा?
प्रधनमंत्री मोदी ने भारत के तिरँगे को विश्व में लहराया है लेकिन आजतक एएन-32 के विषय मे कभी भी ज़िक्र नही किया। मोदी के कार्यकाल को भले ही स्वर्ण वर्षों की तरह याद किया जाए लेकिन विमान खोज ना पानें का दाग ताउम्र उनके साथ जुड़ा रहेगा।
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