किसान आन्दोलन में किसानों के साथ नही है सरकार
किसान आन्दोलन की आग भले ही कम पड़ गई हो लेकिन सरकार की मुश्किलें कम नही हुई है।मध्यप्रदेश किसान आन्दोलन सरकार के ख़िलाफ़ अत्याधिक वृहद आन्दोलन की उपज बनकर सामने खड़ा है।मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर उज्जैन ,नीमच,मंदसौर तक किसान आन्दोलन भयानक ज्वालामुखी की तरह जल रही है।मौजूदा समस्या अनाज,दलहन,प्याज और सोयाबीन में उत्पादन अधिक होनें और बाज़ार में भाव न मिलनें से उपजा है।इस पूरे आंदोलन के दौरान दूधों के दाम बढ़ने पर किसानों द्वारा हज़ारो लीटरों में दूध सड़क पर बहाया गया तथा सब्जियों को भी सड़क में फेकां गया।किसान आन्दोलन किसानों के कर्जमाफी पे आधारित है जिसमें किसानों द्वारा राज्य सरकार के सामने कुछ शर्त रखीं गई है और कर्जमाफी की अपील भी की गई है।
6 जून को किसान आन्दोलन के दौरान किसानों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करनें और पुलिस द्वारा गोलीबारी से 6 किसानों की मृत्यु हो गई जिससे किसानों में हिसां की आग बढ़ गई और किसान आन्दोलन का तूफ़ान चारों तरफ फ़ैल गया। किसानों के साथ-साथ मंडी व्यापारी भी सरकार से भड़क गए है जिससे मंडियों में ख़रीदी नही हो पा रही है।किसान आन्दोलन के दौरान अलग-अलग शहरों में 10 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुकें हैं लेकिन फिर भी सरकार नींद से जगनें का नाम भी नही ले रही है और किसानों का साथ ना देकर ठीक विपरीत बयानबाज़ी की जा रही है जो किसानों के घाव में मरहम की बजाय जहर का काम कर रही है जैसे कृषि मंत्री गौरीशंकर बेसन का यह कहना की "किसान आत्महत्या कर रहे है तो हम क्या कर सकतें है?"जबकि मेरा मानना है की जो किसान आत्महत्या करनें पर मजबूर हुए हैं उनकी जिंदगी को एक दिन जी कर देखिये तब आपको पता चलेगा की हमारें अन्नदाता किसान का जीवन कितना संघर्ष से भरा हुआ होता है। जो किसान आत्महत्या किये है उनमें से एक किसान ज़मीन बेचकर कर्ज़ चुका रहा था।वह अपनें 15 एकड़ ज़मीन में 9 एकड़ ज़मीन बेचकर भी क़र्ज़ नही चुका पाया था और तकरीबन 5.5 लाख रूपये का ऋण बाँकी था। जब देश का हर नेता रात को चैन की गहरी नींद ले रहा होता था तब हमारें देश का यह किसान पूरी रात इस कारण से जगता था की हम अपना क़र्ज़ कैसे चुका पाएँगे?और एक दिन सुबह 4 बजे खेत जाकर पेड़ में लटकर आत्महत्या कर ली और ख़ुद को सुकून की नींद दे गया।
जब हमारें देश में अन्नदाता को लेकर किसान आन्दोलन चल रहा था तब इस बात से अनजान भीलवाड़ा का एक किसान कपास की खेती कर रहा है और 150 फिट कुँए में पानी कम है फिर भी 2 बीघा जमीन में कपास के पौधे तैयार कर रहा है और बाल्टी में पानी लेकर लोटे से थोड़ा-थोड़ा पानी पौधों को दे रहा है इस उम्मीद से की कुछ समय तक सिंचाई करके स्वयं उन्हें जीवित रख लेगा फिर मानसून आएगा तो अच्छी बढ़ावर होगी। तस्वीरें किसानों के वर्तमान हालात को बयाँ कर रहीं है।
जब हमारें देश में अन्नदाता को लेकर किसान आन्दोलन चल रहा था तब इस बात से अनजान भीलवाड़ा का एक किसान कपास की खेती कर रहा है और 150 फिट कुँए में पानी कम है फिर भी 2 बीघा जमीन में कपास के पौधे तैयार कर रहा है और बाल्टी में पानी लेकर लोटे से थोड़ा-थोड़ा पानी पौधों को दे रहा है इस उम्मीद से की कुछ समय तक सिंचाई करके स्वयं उन्हें जीवित रख लेगा फिर मानसून आएगा तो अच्छी बढ़ावर होगी। तस्वीरें किसानों के वर्तमान हालात को बयाँ कर रहीं है।
दुर्भाग्य से भड़की हुई भावनाओं को शांत करनें की बजाय राजनीतिक दल ठीक इसके विपरीत चल रहें है और आग में घी डालनें का काम कर रहे है।और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा की तरह ही पूरी घटना को देखकर केवल इस की सांत्वना दी है की गाँव,गरीब,किसान,मजदूर,महिला और युवा उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताएं है।
उपर्युक्त बयानों को सुनकर काँग्रेस द्वारा शिवराज सिंह चौहान से इस्तीफा माँगना काँग्रेस की दिवालिया सोच को दर्शाता है क्योंकि मध्यप्रदेश में ही आज से 19 वर्ष पूर्व 12 जनवरी 1998 को बैतूल ज़िले के मुलताई में दिग्विजय सिंह के शासन में किसान आंदोलन हुआ था और गोलीबारी में 24 किसान मारे गए थे। उस वक्त किसान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आन्दोलन हुआ था। किसान बाढ़ में हुई फसलों की बर्बादी के लिए 5000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजे की मांग कर रहे थे।उस वक्त काँग्रेस की सरकार थी और दिग्विजय सिंह ने इस्तीफ़ा नही दिया था।तब क्या काँग्रेस नें इस्तीफ़ा माँगा था?क्या सोनिया गाँधी वहाँ गई थी?इसीलिए काँग्रेस का शिवराज सिंह चौहान से इस्तीफ़ा माँगना काँग्रेस की दिवालिया सोच को दर्शाता है।
शिवराज सिंह चौहान का उपवास पहले से था "फिक्स"
किसानो को लेकर कई वादा करके लंबे-लंबे पुल बनाने वाली बीजेपी सरकार भी अन्य राजनीतिक पार्टियों की तरह किसान के साथ ढ़ोंग, दिखावा,छल कर रही है। गोलीबारी में किसानों और किसान के बेटों की हुई मौत के 10 दिन बाद शिवराज सिंह चौहान मृतकों के परिवार से मिलनें जातें है तथा किसानों से यह कहना की ज़ल्द ही आपके बैंक खाते में पैसे आएँगे शिवराज सिंह चौहान के तुच्छ राजनीति संज्ञा को प्रदर्शित करता है। हालांकि 9
जून शाम को शिवराज द्वारा अगलें दिन यानि 10 जून सुबह से भोपाल के दशहरा मैदान में किसानों के लिए उपवास रखनें के लिए कहना और 10 जून की सुबह मंदसौर से 305 किलोमीटर भोपाल की दूरी तय करके 6 मृतक परिवारों में से 4 मृतक परिवार का भोपाल पंहुचकर दशहरा मैदान के मंच में जाकर शिवराज सिंह का उपवास तोड़नें वाली बात हजम नही होती है।
इसी बात की हक़ीक़त को जाननें के लिये एबीपी न्यूज़ के सवांदाता जैनेन्द्र कुमार द्वारा मृतक किसानों के घर जाकर उनसे बात करना और उनकें परिवार द्वारा यह बताया जाना की" हमें बीजेपी नेता द्वारा भोपाल में मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर में ले जाया गया और कहा गया की दशहरा मैदान में मंच में जाकर शिवराज सिंह चौहान का उपवास तोड़ने के लिए कहना है और सभा में मीडिया के सामनें नौकरी,पैसे या मृतक किसान या मृतक बेटे की बात नही करना है।" इस तरह का कार्य बीजेपी द्वारा कराया जाना और उपवास पहलें से फिक्स करना, किसानो के साथ न्याय करना नही हुआ बल्कि किसानों के प्रति ढोंग और छल करना है तथा मृतक किसानों के साथ अन्याय करना है।हालांकि पूरी घटना से यह स्वच्छ दर्पण की तरह साफ़ हो गया है कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों के लिए उपवास करना पहले से "फिक्स" था जोकि गन्दी राजनीति की परिभाषा हैं।
जून शाम को शिवराज द्वारा अगलें दिन यानि 10 जून सुबह से भोपाल के दशहरा मैदान में किसानों के लिए उपवास रखनें के लिए कहना और 10 जून की सुबह मंदसौर से 305 किलोमीटर भोपाल की दूरी तय करके 6 मृतक परिवारों में से 4 मृतक परिवार का भोपाल पंहुचकर दशहरा मैदान के मंच में जाकर शिवराज सिंह का उपवास तोड़नें वाली बात हजम नही होती है।
इसी बात की हक़ीक़त को जाननें के लिये एबीपी न्यूज़ के सवांदाता जैनेन्द्र कुमार द्वारा मृतक किसानों के घर जाकर उनसे बात करना और उनकें परिवार द्वारा यह बताया जाना की" हमें बीजेपी नेता द्वारा भोपाल में मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर में ले जाया गया और कहा गया की दशहरा मैदान में मंच में जाकर शिवराज सिंह चौहान का उपवास तोड़ने के लिए कहना है और सभा में मीडिया के सामनें नौकरी,पैसे या मृतक किसान या मृतक बेटे की बात नही करना है।" इस तरह का कार्य बीजेपी द्वारा कराया जाना और उपवास पहलें से फिक्स करना, किसानो के साथ न्याय करना नही हुआ बल्कि किसानों के प्रति ढोंग और छल करना है तथा मृतक किसानों के साथ अन्याय करना है।हालांकि पूरी घटना से यह स्वच्छ दर्पण की तरह साफ़ हो गया है कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों के लिए उपवास करना पहले से "फिक्स" था जोकि गन्दी राजनीति की परिभाषा हैं।
No comments:
Post a Comment