कलयुग बोल रहा है.......
आज कलयुग हर जगह व्याप्त है और ख़ुद के पाप का बखान कर रहा है। मानव की सच्चाई और अच्छाई पर कलयुग के बुराई की जीत हो रही है। कलयुग का पाप स्वयं को प्रबल मानकर "सत्य" को कुछ इस प्रकार ललकार रहा है!
आज कलयुग हर जगह व्याप्त है और ख़ुद के पाप का बखान कर रहा है। मानव की सच्चाई और अच्छाई पर कलयुग के बुराई की जीत हो रही है। कलयुग का पाप स्वयं को प्रबल मानकर "सत्य" को कुछ इस प्रकार ललकार रहा है!
मैं ही हूँ जो पृथ्वी में,पाप को बढ़ाने आया हूँ।
मित्रता को छोड़कर,शत्रुता निभानें आया हूँ
हैं नही इस भूमि में,जो की मुझको ठग सके
सवेरे को मैं बाँधकर, अँधेरा दिखाने आया हूँ
पाप को बढ़ाने आया हूँ, पाप को बढ़ाने आया हूँ....
शस्त्र भी वो है नही,जिससे मेरा संहार हो
पाप,छल और कपट पे,ना मेरा प्रहार हो
प्रहलाद को जो जन्म दे,वो हिरण्यकश्यप मैं नहीं
पूजे जो पत्थरों को,ऐसी भक्ति ना मेरा आधार हो.
मैं खड़ा रणक्षेत्र में,लड़ने की तैयारी में हूँ मैं
कलयुगी इस राम के ,सत्य से भी भारी हूँ मैं
सत्य और प्रेम के वश में ,मैं आता नहीं
जो मुझे है रोकता,उसका भी प्रतिहारी हूँ मैं
मैं खड़ा रणक्षेत्र में,लड़ने की तैयारी में हूँ मैं
शुभांक शुक्ला
(मेरा ज़िक्र)
I m in love with you words boy!!!!😇😇😇💚💚
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार बरखा जी😊
Deleteआज की वर्तमान स्थिति पर बेहतरीन एवं सटीक शब्द ।
ReplyDeleteधन्यवाद😊
DeleteBahut accha h
ReplyDeleteधन्यवाद अनामिका जी😊
DeleteBahut ache se describe kiya h kalyug ko
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद शिवानी जी😊
Deleteबहुत बढ़िया है सर
ReplyDeleteधन्यवाद आशीष😊
Deleteकलयुग का आन्त सत्य है
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