हमारे समाज में जंहा बेटियों को देवी दर्जा देकर पूजा जाता है और स्वर्णिम भारत बनाये जाने का सपना देखा जाता है। वंही दूसरी ओर समाज में आयदिन छेड़खानी, बदसलूकी और बलात्कार की वारदात सामने आती है,जोकि बेहद शर्मनाक और गंभीर विषय है। सरकार द्वारा इन घटनाओं में ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है बल्कि महिलाओँ को सांत्वना दी जाती है अथवा राजनीती का महत्वपूर्ण विषय बनाकर महिला सुरक्षा के लिए पर्वत से भी ऊँचे विशाल वादे किए जाते है। जब प्रत्येक सरकार महिला सुरक्षा के वादों पर पार्टी की नींव बनाती है तो फिर क्यों कलाकार जायरा वसीम जैसी मासूम बेटियों को छेड़खानी का सामना करना पड़ता है। धाकड़ पहलवान का क़िरदार निभाने वाली बेटी जायरा के साथ हालही में हवाईयात्रा के दौरान होने वाली छेड़खानी हमारे देश के लिए बेहद शर्मनाक है और समाज व सरकार की गाल पर करारा तमाचा है,उनकी असफ़लता के लिए। होने वाली घटना से सवाल उठता है कि क्या सरकार द्वारा चलाये जा रहे महिला सुरक्षा सहायता नम्बर ,हवाईयात्रा में किसी महिला की सहायता करने में सक्षम है? कई राज्यो में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नम्बर चलाये जा रहे है परंतु हवाईयात्रा के दौरान होने वाले दुर्व्यवहार,अभद्रता और छेड़खानी की ज़िम्मेदारी कौन सी सरकार लेगी? हालांकि एयरलाइन्स ने जायरा वसीम के साथ होने वाली छेड़खानी की जिम्मेदारी ली है और विश्वाश जताया है कि मामला सही पाया गया तो संबंधित व्यक्ति को सदा के लिए हवाईयात्रा से प्रतिबंधित किया जा सकता है। परन्तु निष्पक्ष जाँच की कार्यविधि की तारीख़ क्या होगी? यह सवाल सभी बच्चियों और महिलाओं के मन में खटक रहा है।
जब हमारे देश में विकास के लिए नोटबन्दी और जीएसटी जैसे बड़े और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैसले त्वरित किये जा सकते है तो फिर केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं से छेड़खानी पर ठोस कदम त्वरित क्यों नही उठाये जा सकते है। मध्यप्रदेश में महिलाओं के साथ बलात्कार पर आरोपी को फांसी की सजा का कानून विधेयक पारित होना राज्य सरकार द्वारा महिला सुरक्षा पर कड़ा कदम है। परन्तु विपक्ष पार्टीयों द्वारा कानून के दुरूपयोग होने की आंशका को राजनीतिक मुद्दा बनाकर बहस करना दर्शाता है कि विपक्ष महिला सुरक्षा पर गंभीर नही है। जबकि समाज में होने वाली छेड़खानी,बदसलूकी और बलात्कार जैसे गंभीर घटना पर राजनीतिक फायदे के नजरिये से नही बल्कि सभी को मानवता के नजरिये से देखना चाहिए।
( शुभांक शुक्ला )
No comments:
Post a Comment