Monday, 16 October 2017



मोहम्मद अय्यूब पंडित के मौत का जिम्मेदार कौन?


पूरे विश्व सम्राट में सभी धर्मों को अभिमान के साथ अपनाने वाला लोकतांत्रिक देश भारत है। यँहा पर सभी धर्मों को अपनाया ही नही जाता अपितु सभी धर्म एक दूसरे का सम्मान भी करते हैं। पूरे विश्व में एकलौता ऐसा देश भारत है जंहा पर 80 प्रतिशत हिंदुओं पर शासन के लिए मुस्लिम राष्ट्रपति नियुक्त किया जाता है और अपनी जिम्मेदारी  बखूबी  निभाता है। केवल भारत में ही 20 से ज्यादा भाषाओँ का प्रचलन है जिसमें हिन्दी, उर्दू,बँगाली
और ना जाने कितनी भाषाओँ का संगम एक ही देश में होता है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत में हर जगह लोकतंत्र की पूजा की जाती है पूरी दुनिया लोकतंत्र को मानती है लेकिन कुछ अंश में  छुपे गद्दारों के कारण अब कश्मीर में भीड़तंत्र का कब्ज़ा हो गया है। इस भीड़ में आतंकवादी से लेकर पत्थरबाज और अलगाववादी से पीड़ित कुछ बुज़दिल लोग शामिल है। और इसी भीड़तंत्र के होनें से एक बार फिर भारत के बेटे मोहम्मद अय्यूब को निशाना बनाया गया और उसकी हत्या कर दी गई। इस तरह की वारदात जम्मू-कश्मीर जैसे जन्नत में भीड़तंत्र के कब्ज़ा होने का इशारा करती है। आज से 64 वर्ष पूर्व 23 जून 1953 को श्रीनगर में इसी प्रकार की दुःखद घटना का सामना करना पड़ा था। एक राष्ट्रभक्त की रहस्यमयी तरीके से हत्या कर दी गई थी। इसी व्यक्ति द्वारा भारत में पहली बार अनुच्छेद 370 का विरोध किया गया था, उस समय भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 में यह प्रावधान था की कोई भी व्यक्ति भारत सरकार से परमिट लिए बिना जम्मू कश्मीर की सीमा में प्रवेश नही कर सकता है लेकिन इसका विरोध करने वाले उस देशभक्त ने जम्मू-कश्मीर को भारत का एक अभिन्न अंग बताया था और यह भी कहा था की देश में दो विधान,दो प्रधान,दो निशान नही चलेंगे। इस देशभक्त का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी था जोकि भारत के प्रख्यात शिक्षावेद चिंतक,राजनेता और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के अनुच्छेद 370 को देश की एकता और अखण्डता के लिए बहुत बड़ा ख़तरा मानतें थे। उनकी ये सोच वर्षों पुरानी है लेकिन मोहम्मद अय्यूब की हत्या को देखकर यह अवश्य कहा जा सकता है की उनकी ये सोच शत् प्रतिशत सत्य थी।  23 जून आधी रात श्रीनगर में डीएसपी मोहम्मद अय्यूब को कुछ हिंसक भीड़ ने अपना शिकार बना लिया और उसे पीट-पीट कर मार डाला। यह वारदात उस वक्त की है जब मोहम्मद अय्यूब पंडित कश्मीर की सबसे बड़ी मस्जिद जामिया की सुरक्षा में तैनात थे। हिंसक भीड़ ने पत्थरों से मार-मार कर हत्या ही नही की अपितु मोहम्मद अय्यूब के शव को 300 मीटर से भी ज़्यादा घसीटते रहे। मोहम्मद अय्यूब पंडित हमले से पहले नमाज़ पढ़कर निकले थे और मस्जिद की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मस्जिद में आने-जानें वालों की तस्वीर ले रहे थे लेकिन वंही पास में खड़े कुछ असामाजिक तत्व पत्थरबाजों ने अय्यूब से इस बात की बहस करनें लगें की तुम मुसलमान नही हो बल्कि एक हिन्दू हो जो मस्जिद की मुखबिरी कर रहा है। और उन्ही गद्दारों में से एक ने चिल्ला कर भीड़ को इकट्ठा कर लिया की एक हिन्दू मस्जिद की मुखबिरी कर रहा है और 150 से भी ज़्यादा मुसलमान एकत्रित हो गए और मोहम्मद अय्यूब पर हमला कर दिया।
जब ये सब चल रहा था तब अलगाववादी नेता मीरवाईज उमर फारुख मस्जिद के अंदर लोगों को तक़रीर दे रहे थे । ये वही अलगाववादी नेता है जो हाल हीं में भारत-पाकिस्तान के मैच पर पाकिस्तान के जीतनें पर बधाई देता है और पटाखें फोड़ कर उत्सव मनाता है। मोहम्मद अय्यूब के हत्या की पुष्ठी होनें के बाद साफ हो गया है की अय्यूब पर जिन्होंने हमला किया था वें सब मीरवाईज के कार्यकर्ता थे। जिन्होंने ख़ुद के मुस्लिम भाई को इस तरह पीट-पीट कर मार डाला है की मोहम्मद अय्यूब के शव को आसानी से पहचाना भी नही जा सकता था अगर आप इस शव को देख लेते तो आपकी रूह काँप उठती। आप बिल्कुल यह कह सकतें है जैसे हमारें जवानों को पाकिस्तानी आतंकवादी द्वारा जिस तरह बेदर्दी से जवानों के अंगो को काट दिया जाता है कुछ इसी प्रकार से हिंसक भीड़ ने अय्यूब को भी मारा है। जरा सोचिये जब 3 दिनों बाद रमजान और ईद का त्योहार आनें वाला हो और उस घर का चाँद हमेशा के लिए छुप गया हो तो उस परिवार के लिए इससे बुरा दिन और क्या हो सकता है।

‌मोहम्मद अय्यूब की भतीजी ने कहा की " हमारें बेकसूर अंकल को मारा इन्होंने,हमारें ईमानदार अंकल को मारा। हम इंडियन है,हाँ हम इंडियन है। इंडियन है हम । हाँ हम इंडियन है....

  अय्यूब के रिश्तेदार ने भी कहा की "मीरवाईज से जाकर पूँछो। हमारा जिगर जल रहा है। कश्मीरी-कश्मीरी को मार रहा है,मुसलमान-मुसलमान को। कँहा गया तुम्हारा गिलानी"

पूरी घटना को देखकर वंहा की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा की " अगर पुलिस के सब्र का पैमाना छलका तो लोगों के लिए बहुत मुश्किल होगी।"


कश्मीर घाटी में पिछले 4 महीनों में आतंकवादी हमलों में राज्य के 16 से ज्यादा पुलिसकर्मी शहीद हुए है। 16 जून को अंनतनाग में जम्मू कश्मीर पुलिस के 6 जवान शहीद हुए थे। जिनमें 32 वर्ष के फ़िरोज अहमद डार भी शामिल थे।


 पिछले माह 22 वर्ष के लेफ्टिनेंट उमर फयाज के शरीर को भी,आतंकवादियों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। इन सुरक्षा कर्मियों को देश के संविधान में पूर्णतः विश्वास था, देश के हित में काम कर रहे थे इसलिए इन्हें मार दिया गया। डीएसपी अय्यूब की हत्या को भीड़ का हमला मानकर रफ़ा-दफ़ा नही किया जा सकता है। भीड़ को किसी की हत्या करनें का लाइसेंस नही दिया जा सकता है इस भीड़ पर कड़ी कार्यवाही होनी ही चाहिये.

अब पूरी दुःखद घटना पर विश्लेषण कीजिए और मेरें अंतर्मन में जो सवाल तूफ़ान फैला रहें है उन सवालों पर आप भी आत्ममंथन कीजिए...
1.अगर डीएसपी मोहम्मद अय्यूब हकीकत में हिन्दू होता तो क्या कुछ असामाजिक तत्व द्वारा हिसंक भीड़ का नाम देकर मस्जिद के बाहर उस हिन्दू को मारा जाना वाज़िब होता ?
2. अगर मोहम्मद अय्यूब अपनें मुस्लिम होनें का सबूत देनें में सफ़ल होते क्या हिसंक भीड़ उनकी हत्या ना करती?


     धर्म की बात करके क्यों एक दूसरे को डर देते हैं
धर्मों की बात भुलाकर चलो इंसानियत की बात कर लेतें हैं।
                                                                             (शुभांक शुक्ला)
                        




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