Monday, 16 October 2017

कर क्राँति से एक देश ,एक टैक्स तथा 1 मार्केट

‌हमारें देश में कई दिनों से एक मुद्दा हर एक की ज़ुबान से सुनने को मिल रहा है। कोई कंही भी खड़ा हो जाये यह मुद्दा इतने जोरों-सोरों से चल रहा है जैसे कोई नई क्रांति  आ गई हो। जो व्यक्ति इस मुद्दे की आपस पे चर्चा कर रहें हैं उनमें से कई लोगों को हकीकत में इस मुद्दे की परिभाषा भी नही पता है हालांकि की मैं भी उनमें से एक हूँ। जी मैं बात कर रहा हूँ GST जैसे ऐतिहासिक मुद्दों की। विभिन्न प्रकार के समूह आपस में GST पर कई प्रकारों से चर्चा कर रहें है। जिनमें से कई लोग GST का फुल फ़ॉर्म अजीबोगरीब बता रहें है तथा व्हाट्सअप,फेसबुक जैसे कई सोशल मीडिया संस्थानो में GST का फुल फॉर्म गई सरकार तुम्हारी,गन्दा सरकारी टैक्स ,गरीब शोषण टैक्स इत्यादि परिभाषाओं द्वारा चलाया जा रहा है जोकि पूर्णतः असत्य है। ज़्यादातर मीडिया चैनल कई दिनों से अपनी रिपोर्टिंग केवल जीएसटी पर दिखा रहें हैं। हमारे भारतीय एंकर कई दिनों की बेहद मेहनत ,खोजबीन और बड़े -बड़े चार्टेड एकाउंटेंट तथा इकोनॉमी सिलेबस समझने के बाद भी हमें समझाने में असफल रहें हैं। क्योंकि हमनें जब जीएसटी का फुल फ़ॉर्म  गूगल तथा किताबों पर सर्च किया तो गुड्स एंड सर्विस टैक्स द्वारा उल्लेखित किया जा रहा है लेकिन 30 जून की अंतिम रात व् 1 जुलाई के पहले सेकंड में भारत के माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा भाषण में जीएसटी का फुल फ़ॉर्म गुड एंड सिम्पल टैक्स बताया गया।  हिन्दी में जीएसटी को "वस्तु एवं सेवा" कर कहतें है लेकिन कई किताबोँ में अब इसकी परिभाषा बदलती हुई नजर आएगी क्योंकि माननीय प्रधानमंत्री जी के अनुसार आप इसे "वस्तु एवं साधारण कर" कह सकतें है।

मैंने सुबह जब अखबार उठाया तो दैनिक भास्कर के फ्रंट पेज पर "कर क्राँति "  जैसे नए शीर्षक से परिचित हुआ तथा दैनिक भास्कर द्वारा साफ़ भी किया गया की  शीर्षक पढ़कर चौकिएं । क्योंकि ये हेडलाइन
उत्सव का प्रतीक भी है और इंतजार का सूचक भी । 17 तरह के टैक्स और 23 तरह के सेस को मिलाकर एक जीएसटी निश्चित तौर पर आज़ादी के बाद की सबसे बड़ी कर (टैक्स) क्रांति है। दूसरी ओर सरकार जीएसटी के जरिये बड़े आर्थिक बदलाव का दावा भी कर रहीं है। देश ऐसे बदलाव की अपेक्षा भी कर रहा है। इसलिये सरकार, करिये क्राँति..... देश बेसब्री से इस बदलाव का इंतजार करेगा....।

कर क्राँति 30 जून रात 12 बजे संसद के सेन्ट्रल हॉल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व माननीय मोदी जी द्वारा एक क्रांतिकारी बटन दबाकर लांच किया गया। मोदी जी ने कहा ये किसी एक पार्टी की नहीं बल्कि हम सबकी साझी विरासत है लेकिन मैं इसे हास्य रूप में कहूँ तो यह कथन पूर्णतः असत्य है क्योंकि आज़ादी के बाद पहली बार संसद के किसी बड़े कार्यक्रम में काँग्रेस पूरी तरह से ग़ायब रही। भारत के हर राज्य को 500 तरह के टैक्स से  आज़ादी मिल रही है। आप इसे आर्थिक आज़ादी भी कह सकतें है। क्योंकि 17 साल की कड़ी मेहनत के बाद
इस क्राँति को देश में लागू किया गया है।
                   
 जीएसटी लागू करनें वाला भारत 161 वां देश है। सबसे पहले फ़्रांस ने 1954 में यह टैक्स प्रणाली अपनाई थी। भारत नें जीएसटी का ड्यूल मॉडल अपनाया है। कनाडा के बाद यह मॉडल अपनाने वाला भारत दूसरा देश है।आज शनिवार सुबह से 1 देश,1टैक्स और 1 बाज़ार यानि जीएसटी अमल में आ जायेगा। इस ऐतिहासिक समारोह में जंहा एक हज़ार से ज़्यादा वीआईपी शामिल हुए,वंही काँग्रेस ,ममता और लालू की पार्टी दूर रही। लांचिंग में टाटा सहित 1000 से ज़्यादा वीआईपी मौजूद थे पर लता मंगेशकर और अमिताभ बच्चन समारोह में शामिल नही हुए है। जबकि अमिताभ बच्चन को जीएसटी का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया था। मोदी जी ने गीता से तुलना और चाणक्य से प्रेरणा की बात भी अपनें भाषण में की उन्होंने कहा की गीता के 18 अध्याय हैं। संयोग देखिये की जीएसटी कॉउंसिल की 18 बैठकों के बाद आज यह लागू हो रहा है। चाणक्य के श्लोक का हवाला देते हुए कहा की कोई काम कितना भी कठिन क्यों न हो, अथक परिश्रम से इसे हासिल किया जा सकता है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी ने कहा की जीएसटी से बहुत संतोष मिला है। मुझे उम्मीद थी कि जीएसटी लागू होगा। यह मेरें लिए ऐतिहासिक मौका है। क्योंकि वित्त मंत्री रहते मैंने इसके लिए काफ़ी पहल की थी।

जीएसटी लागू करनें के उद्देश्य

जीएसटी लागू होनें के बाद सभी राज्यों में एक समान कर लगेगा। इससे राज्यों के बीच होनें वाली अस्वस्थ प्रतियोगिता रुकेगी। जीएसटी का उद्देश्य माल और सेवाओं के प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन लागत पर करों के दोहरे प्रभाव को खत्म करना है। टैक्स पर टैक्स के व्यापक प्रभावों को ख़त्म कर उसे एक टैक्स में बदलनें से बाज़ार में वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिस्पर्धा में काफ़ी सुधार होगा,जिससे जीडीपी में बढ़ोत्तरी होगी।

मोदी जी नें क्यों चुना ससंद सेंट्रल हॉल

मोदी जी ने GST लांच करनें के लिए संसद का सेंट्रल हॉल इसलिये चुना क्योंकि आज से 71 वर्ष पूर्व 9 दिसंबर 1946 को इसी सेंट्रल हॉल में संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी तथा 14 अगस्त 1947 जब रात 12 बजे तब देश की आज़ादी की घोषणा हुई थी। तीसरा ऐतिहासिक फैसला 26 नवम्बर 1949 में इसी सेंट्रल हॉल में देश को संविधान को स्वीकार किया गया था।
जीएसटी लागू होनें के असर से परेशानी कम होगी और कारोबारी टैक्स देनें के लिए प्रोत्साहित होंगें। समान पर दर समान होगी तो महँगाई और कालाबाज़ारी पर रोक लगेगी। टैक्स ढाँचा मजबूत होगा। मल्टीपल टैक्स फाइलिंग ख़त्म होगी और टैक्स अदा करनें के लिए कई जगह दस्तावेज नही भरनें होगें। पहले 17 टैक्स,23 सेस यानि टैक्स पर टैक्स था पर अब 1 जीएसटी और टैक्स पर टैक्स ख़त्म हो जायेगा । जीएसटी तीन प्रकार की है पहला SGST जिसे हिंदी में राज्य वस्तु एवं सेवा कर कहते हैं इस कर को राज्य सरकार वसूलेगी दूसरा CGST जिसे हिन्दी में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर कहतें है। इस कर को केंद्र सरकार वसूलेगी और तीसरा कर है IGST जिसे हिन्दी में एकीकृत एवं सेवा कर कहतें है। एक राज्य से दूसरों राज्यों में वस्तुओं एवं सेवाओं की बिक्री में यह कर लगेगा। 1 जुलाई से टैक्स के सिर्फ चार स्लैब- 5,12,18 और 28 % होंगें। जम्मू कश्मीर में अभी जीएसटी लागू नही है यानि जो भी समान यँहा से आएगा या जायेगा उस पर डबल टैक्स अभी भी लगेगा।



जब GST जैसे विशाल शब्द पर मैंने विश्लेषण किया तो मुझे इस बात पर विश्वास अवश्य हुआ की मोदी जी द्वारा लिया गया यह स्वर्णिम फैसला देश के लिए लाभदायक सिद्ध होगा और देश को विकास के नए शिखर पर विराजमान करेगा।

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