Monday, 10 September 2018

SC/ST एक्ट की सच्चाई


आज सुबह जब मैं सो रहा था तो अचानक मेरे घर के दरवाजे कोई पीटने लगा मानो चारों तरफ़ आग लगी हो और मुझे बचाने के लिए कोई भगवान बनकर आया हो और दरवाजे जोर-जोर  हो लेकिन मेरे मन में एक और सवाल ने दस्तक़ दिया कि क्या कोई भगवान इतने जोर-जोर से दरवाज़े को पीटेगा.सवाल का जवाब मिलने से पहले ही दरवाजे के दूसरी ओर से आवाज आई कि "मर गया क्या?" मैंने बोला तनिक सांस लीजिए महादोय लुंगी,टॉवल या फिर कैपरी कुछ तो पहनने दो क्योंकि मेरी आदत चड्डी और बनियान पहनकर सोने की है और देर रात तक नेताओं के ट्विटर पर वादे पढ़ते रहने की आदत है इसीलिए सुबह 11-12 बजे तक सोता रहता हूँ.कुछ देर के बाद जब मैं दरवाज़ा खोला तो हैरान रह गया कि मेरे सामने 6-7 पुलिस वाले खड़े थे जिसमे SI भी था.मैंने हाथ जोड़कर पूंछा साहेब आप सुबह-सुबह मेरी झोपड़ी पर कैसे? उनमे से एक कॉन्स्टेबल मज़ा लेते हुए बोला "बेटा तुझे ससुराल ले जाने के लिए आए हैं" हालाँकि मेरी बचपन से ही इच्छा शादी करने की रही है पर मुझे पता नहीं था कि मेरे पिता जी अचानक पुलिस वाले की लड़की से रिश्ता इतना जल्दी तय कर देंगे। मैंने बोला साहेब लेकिन मेरी घरवालों से अभी तक मेरी बात भी नहीं हुई और मुझे पता भी नहीं है कि "मुझे शादी से पहले ससुराल जाना चाहिए या नहीं?" चंद सेकण्ड रुकिए,मैं घरवालों से पूँछ लेता हूँ  तभी मेरे सामने खड़े कई खाक़ी वालों में से एक ने कहा मज़ाकिया अंदाज में बोला "बेटा तुम्हारी शादी तो हम कराएँगे ही लेकिन पहले जरा चलो कुछ और शादी की रस्में पूरी कर लें" ये वाक्य पूरा नहीं हुआ था कि एक मोटा-तगड़ा सा कॉन्स्टेबल मेरी बाजू पकड़कर मुझे तेज से अपनी ओर खींच लिया और जब मैंने ख़ुद को आज़ाद करने की कोशिश कि तो उनमे से खड़े सभी पुलिसवालों ने मुझे ऐसा दबोचा जैसे मैं पागल सांड हूँ और वो मुझ पर काबू पाना चाहते हैं.किसी ने मेरे हाथों को जोर से पकड़ कर उठाया और किसी ने मेरे दोनों पैरों को जोर से उठाया और मुझे ले जाने लगे.तभी मेरी लुंगी छूटने लगी और मैं ख़ुद को छुड़ाने की बजाय लुंगी के अंदर छिपी इज्ज़त को बचाने लगा और अंततः इज्ज़त बचाने में सफ़ल भी हुआ .उन्होंने मुझे ले जाकर 100 नंबर डॉयल में बिठा लिया और गाड़ी स्टार्ट करके धीरे-धीरे चलने लगे.अब चूँकि सुबह-सुबह पुलिस तो मुझे ले ही जा रही थी पर उठते ही सुबह चाय पीने की जो मेरी लत पड़ चुकी थी कम्बख्त इसे अब कैसे झेलूं? मेरे मन में चाय पीने की तड़प बढ़ चुकी थी और चरम सीमा पार होने वाली थी तभी मेरे पास बैठे एक गंभीर और समझदार लग रहे चेहरे वाले कॉन्स्टेबल से कहा कि साहेब सुबह का माहौल है,चाय-नास्ता के लिए जरा गाड़ी कहीं रुकवा लीजिए. वो मुझे टकटकी लगाए निहारता रहा तो मुझे समझ में आ गया कि बंदा चेहरे से ही नहीं बल्कि ड्यूटी के प्रति भी गंभीर है.अब चल रही गाड़ी से सड़क के चारों ओर देखने लगा सोचा चाय पीने का मौका नहीं मिल रहा,कम से कम चाय की एक झलक देखने को ही मिल जाए.जब मैं गाड़ी से बाहर की ओर देखने लगा तो पाया की हज़ारो की भीड़ सामने से आ रही है,जिनके हाथों में पोस्टर,बैनर और उनके बीच से जोर-जोर से नारों की आवाज़ आ रही थी. चूँकि सड़क की ओर मैं इसलिए देख रहा है ताकि मुझे चाय दिख सके लेकिन मुझे चाय की चाहत नहीं बल्कि लोगों की गुस्से से जुटी भीड़ दिखी.मन में लिए कई सवालों को लेकर मैं थाने पहुंचा और अंदर जैसे ही गया तो पाया कि हवालात में कई बड़े,बूढ़े,बच्चे और युवा अंदर बैठे हुए हैं.उन लोगों में मुझे पढ़ाने वाले अध्यापक संतोष सिंह और मेरे पास वाली मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी जी भी थे.मैं ये सब देखकर थोड़ी अचंभित हुआ और उन्हें लगातार देखने लगा कि आखिर ये सब यहाँ कैसे? तभी एक पुलिसवाले ने मेरे पिछवाड़े पर डंडा मारते हुए बोला  चलो DSP सर तुम्हें याद कर रहे हैं.मुझे पहली बार पता चला था कि जब ससुराल में DSP साहेब याद करते हैं तो पिछवाड़े में डंडे द्वारा आमंत्रण दिया जाता है.खैर ,मैं DSP के पास पहुंचा और बोला साहेब नमस्कार,आखिर मुझे यहाँ क्यों लाया गया है?


वो बोले "बेटा तुम पर एक रिपोर्ट दर्ज़ की गई है.


मैं बोला -कैसी रिपोर्ट?


उन्होंने बोला की तुमने अपने दोस्त को जातिसूचक शब्द से बुला लिया है और वो अपमानित हो गया है.इसलिए उसने रिपोर्ट दर्ज करवाई है.मैं ये सब सुनकर भौचक्का रह गया और बोला कि साहेब,ऐसा मैंने तो नहीं किया बल्कि मेरा वही दोस्त मुझे पंडित,पंडित ,पंडित  .... मेरे जातिसूचक शब्द से बुलाता रहता है. तो इस स्थिति में मैंने तो उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई? तो DSP साहेब बोले " बेटा वो तुम्हे जातिसूचक शब्द से बुला सकता है लेकिन तुम नहीं,क्योंकि सरकार ने उनके लिए कानून बनाया है तुम्हारे लिए नहीं" मैंने थोड़ी असहज़ होकर बोला लेकिन साहेब- सरकार ने सबको समानता का अधिकार भी तो दिया फिर मेरे द्वारा जब जातिसूचक शब्द का उपयोग नहीं किया गया फिर भी मुझे थाने क्यों लाया गया है? वो बोले "बेटा भारत देश का अब यही कानून है" तो मैं भावुक होकर बोला- अच्छा साहेब मैं अपने पिता जी को फोन लगाना चाहता हूँ और वक़ील को बुलाना  चाहता हूँ और बेल के लिए अप्लाई करना चाहता हूँ.क्योंकि UPSC का एग्जाम मेरे तीन दिन बाद हैं.

साहेब कुछ देर मेरी ओर देखते रहे और मुझे पूंछा कि क्या सच में तुम्हारा एग्जाम है?

मैंने बोला- मेरा एडमिट कार्ड आप इंटरनेट में देख सकते हैं.

तभी DSP साहेब कुछ देर सोचते रहे और पास खड़े कॉन्स्टेबल से बोले कि जिस लड़के ने इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई है,उसे बुलाओ....

तभी पास खड़े कॉन्स्टेबल ने बोला-सर, शुभांक शुक्ला के जिस दोस्त ने इसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई है.उसका भी UPSC का एग्जाम तीन दिन बाद है.इसलिए वह रिपोर्ट लिखवाकर शहर से दूर एग्जाम देने के लिए चला गया है.

कॉन्स्टेबल की इस बात को सुनकर मुझे ज्यादा हैरानी नहीं हुई क्योंकि मुझे उसके एग्जाम का पहले से पता था लेकिन  इस बात को सुनकर DSP साहेब अचंभित हो गए और गहरी दुविधा में फंस गए.

अब अगर मुझे वो एग्जाम देने के लिए छोड़ देगें तो कानून का अपमान होगा और अगर मुझे वो जाने नहीं देगें तो मेरी पूरी मेहनत बेकार चली जाएगी।

तभी मैंने गंभीरता से मायूस होकर पूंछा-साहेब,आप क्या सोच रहे हैं?

DSP साहेब के कुछ बोलने से पहले ही पास खड़े कॉन्स्टेबल ने हँसते हुए बोला- अब 6 महीने जेल without बेल.

इस बात को सुनकर साहेब का चेहरा थोड़ी उतर गया और वो मुझे दया के भाव से देखने लगे.

अब चूँकि मैं भी UPSC की तैयारी कर ही रहा था और कानून की पढाई भी की थी इसलिए मैं सब समझ गया और खुद को हारा हुआ महसूस करने लगा.

तभी कॉन्स्टेबल ने मेरे हाथों को जोर से पकड़ा और हवालात में बंद कर दिया.उसी हवालात में जहाँ मास्टर जी और पुजारी जी थे.


कुछ घंटो तक वो मुझे और मैं उन्हें देखता रहा.वो दोनों मुझसे सवाल करना चाहते थे लेकिन वो कुछ पूँछ नहीं पा रहे थे शायद इसलिए क्योंकि जो कभी मुझे ज्ञान दिया करते थे वो आज खुद को मुजरिम समझ रहे थे और जो कभी मंदिर में पुण्य का गुणगान किया करते थे आज वो खुद को पाप का भागीदार समझने लगे थे.मैंने हिम्मत करते हुए उन दोनों की आपबीती जानने की कोशिश कि तो पता चला की मास्टर जी ने किसी बच्चे को होमवर्क न करने की वजह से 10 मिनट क्लास के बाहर खड़ा कर दिया तो रिपोर्ट दर्ज होने के बाद वो खुद अंदर हो गए और पुजारी जी से जब पूंछा तो उन्होंने बताया कि अब क्या बताऊँ बेटा? पूजा के दौरान मैंने चप्पल बाहर उतारने के लिए कह दिया तो मेरे खिलाफ भी रिपोर्ट हो गई और मैं यहाँ पहुँच गया.


कुल मिलाकर अब हम तीनों को ज्ञात हो गया था कि 6 महीने यहीं रहना है इसलिए किसी भी तरह दिन काटना है. मैं अब हर दिन मास्टर जी के ज्ञान और पंडित जी के सुनाये गए भागवत कथा का अनुसरण करने लगा और 6 महीने किसी तरह हवालात में बिताया. 6 महीने बाद पता चला कि हम तीनों पूरी तरह से निर्दोष हैं और बाइज्जत हवालत के बाहर भेजा गया.और जिन्होंने हम तीनो के खिलाफ झूठी रिपोर्ट की थी उन पर मानहानि का केस लगाया गया लेकिन बाहर निकलने के बाद अब दुनिया पूरी तरह से अलग दिख रही थी मास्टर जी के यहाँ अब कोई पढ़ने नहीं आता था.जेल गए पुजारी जी की बजाय मंदिर में दूसरे पुजारी जी आ गए थे. और मै अपना ज़िक्र क्या करूं? मेरे आस-पास के लोग मुझे घूरने लगे थे। मुझे कचरे की तरह असामाजिक तत्व समझने लगे थे.समय बीतता गया और मैं 22 साल से 32 साल का हो गया लेकिन मेरी शादी के लिए एक भी रिश्ते नहीं आये क्योंकि मैं 6 महीने जेल में था और जाहिर सी बात है कोई भी पिता,अपनी बेटी की शादी जेल गए लड़के से किसी भी शर्त में नहीं करेगा। मैं सोचा अब अब शादी तो होगी नहीं कम से कम रोजगार ही मिल जाए इसलिए मैं कलेक्ट्रेट पहुंचा तो देखा जिसने मेरे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी आज वो साहेब कलेक्टर बन गए हैं इसलिए मैं उन्हें नमस्कार किया और बोला की साहेब अगर कहीं पर कोई सरकारी वैकंसी आए तो जरूर बताइयेगा।

नोट:2015 में NCRB की रिपोर्ट के अनुसार sc/st के कुल 15636 केस में 11024 केस झूठे पाए गए थे.                         
                                                         शुभांक शुक्ला 

5 comments:

  1. इतना लंबा text लिखने में कितना time लगा भईया जी , मैं गहरी सोच में हूं , कि इसे reed करूं के यूपीएससी clear कर लूं afterall time तो दोनों में same ही लगना है ।

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