वक्त है बदलने का,वक्त है कुछ कर जाने का
वक्त है देश को विश्वगुरु कहलाने का
लेकिन सवाल है कैसे?
जब भ्रष्टाचार की आंधियां हर ओर हो
जब देश के युवा बेरोजगार हो
जब मंदिर-मस्जिद से भगवान और आल्हा खोने लगे
जब हैवानियत का बोझ,धर्म ढोने लगे
जब मैली गंगा ,स्वयं का पाप धोने लगे
तो सवाल उठता है आखिर भारत विश्वगुरु कैसे?
जब राजनीती की तलवार हो
साम्प्रदायिकता का भूत सवार हो
जब हत्यारों की पूरी बाजार हो
जब हर हफ़्ते बलत्कार हज़ार हों
तो सवाल उठता है भारत विश्वगुरु कैसे?
जब मां की कोख में ही बेटियां आने से डरने लगे
जब देश का अन्नदाता भूख से मरने लगे
जब सत्यमेव जयते में भी में झूठ जड़ने लगे
जब राजनीती सड़क में पड़े-पड़े सड़ने लगे
तो सवाल उठता है भारत विश्वगुरु कैसे?
जब कश्मीर का स्वर्ग,नर्क में बदलने लगे
जब देश का हर बच्चा, हिंसा में पलने लगे
जब सत्य का एक हिस्सा,झूठ से संभलने लगे
जब देश की धरती,भेदभाव की आग उगलने लगे
तो सवाल उठता है,भारत विश्वगुरु कैसे?
जब साहित्य से सत्य खोने लगे
जब पत्रकारिता के तथ्य घुंधले होने लगे
जब धर्म ,हिंसा का बीज बोने लगे
जब इंसानियत फूट-फूट कर रोने लगे
तो सवाल उठता हैभारत विश्वगुरु कैसे?
मेरा ज़िक्र
(शुभांक शुक्ला)
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