Monday, 10 December 2018

चुनाव रिजल्ट आने से पहले वाली रात

आज रात 10 बजे जब मैं सोने जा ही रहा था कि अचानक चचा का फोन आया। ये वही चचा हैं जो कभी भाजपा की तारीफ़ करते दिखतें हैं और कभी कांग्रेस की तारीफ़ करते दिखते हैं। कभी भाजपा की आलोचना करते हैं तो कभी कांग्रेस की। और स्वयं को निष्पक्ष बताते हैं। लेकिन मेरे दोस्त इन्हें बिचौलिए चचा(दल्ला) बुलाते हैं। मेरे दोस्तों को लगता हैं ये दोनों की खाते हैं और दोनों की बजाते हैं। बजाने से अर्थ डमरू या नगाड़े से हैं यानी तारीफ़ से है। अब चूँकि मैं सोने जा रहा था तो मन किया की इनका फोन न उठाऊं और जब सुबह मिलेंगे तो बोल दूंगा की चचा मैं सो गया था और मेरा मोबाइल साइलेंट था। लेकिन उनका तीन बार फोन आने से मुझे लगा की चचा कहीं संकट में तो नहीं हैं इसलिए मैंने फोन उठाया और मेरे कुछ बोलने से पहले ही चचा ने कहा अबे  *तिया..तुम साले मेरा फोन नहीं उठा रहे हो,अपने आपको मोदी समझने लगे हो क्या? मैंने थोड़ा सकपकाते हुए झूठ बोला चचा मैं वॉशरूम में था और इसलिए नहीं उठा पाया। आगे कुछ बोलने ही जा रहा था की चचा ने आव देखा न ताव,सीधे बोले अबे साले तुम क्या पत्रकार बनोगे? जब तुम वॉशरूम में मोबाइल ही नहीं ले जाते हो? मैंने कहा - आपका मतलब नहीं समझा चचा। तो उन्होंने फौरन कहा अबे बुड़बक,पत्रकार जो होता है ,वो खाने से लेकर नहाने तक मोबाइल साथ में रखता है ,क्या पता कब ब्रेकिंग न्यूज आ जाए की  15 लाख रुपये खाते में आ गए हैं। मैंने कहा-ओह्ह ...उन्होंने कहा ये ओह्ह और आहह छोड़ो ये बताओ,अभी तुम कौन से वाले ससुराल जाने वाले हो. मैंने कहा-मतलब ? उन्होंने खिसियाते हुए बोला-अबे क्षीणबुद्धि,हम तुम्हें सारी उम्र लगता है मतलब ही समझाते रह जाएंगे और लोग पत्रकारिता करते-करते संसद में पहुंच जाएंगे। मैंने कहा मुझे तो चचा संसद नहीं जाना बल्कि पत्रकारिता ही करना है। उन्होंने झठ से मेरा अगले शब्दों को रोकते हुए बोले अबे तुम सड़कछाप पत्रकार ,ई बताओ की तुम अभी कांग्रेस वाले ससुराल जा रहे हो या फिर बीजेपी वाले ससुराल। तो मैंने कहा अभी मैं तो सोने जा रहा हूँ। तो उन्होंने बोला- इसलिए तुम्हारे दोस्त तुम्हें नल्ला कहते हैं। अबे बैलबुद्धि, जब दूसरे दिन चुनाव परिणाम आने वाला हो,ऐसी कालीरात ही तो हम जैसे लोगों का जीवन बनाती है। हमें तय करना होता है कि कल कौन सी पार्टी जीतेगी और कौन सी पार्टी नहीं। और उसी के यहां हम रात भर जगराता करते हैं और उन्हें विश्वास दिलाते हैं की हम उनके जीत की दुआ करते हैं और उन्हें इम्प्रेस करने की कोशिश करते हैं। जब चचा ये मुझे बता रहे थे तभी मैंने कहा तो चचा आपको कैसे पता चलता है की कल कौन जीतेगा? चचा निराश होते हुए बोले- भतीजे! जैसे ही उन्होंने मुझे संबोधित करते हुए अबे नहीं लगाया,उसी वक्त मैं समझ गया कि अब चचा मुद्दे की बात करेंगे और मैं उन्हें ध्यान से सुनने लगा।फिर चचा रोती हुई आवाज में बोले- हर बार तो न्यूज चैनल एग्जिट पोल निकालते थे तो लगभग पता चल ही जाता था कि कौन जीतेगा?  लेकिन इस बार न्यूज़ चैनल ने दो-दो एजेंसियों से  सर्वे करवाये हैं तो उसी चैनल का एक सर्वे भाजपा को जिता रहा है और एक सर्वे कांग्रेस को जिता रहा है।अब समझ में ही नहीं आ रहा  है कि आखिर जीत कौन रहा है? तो मैंने व्यंग मारते हुए बोला की तो फिर आज आप कौन सी ससुराल जा रहे हैं? दुःखी होते हुए चचा बोले-अबे गधे,अगर मुझे पता होता तो वहां अभी पहुंच नहीं जाता। तुमसे फोन में बतिया नहीं रहा होता। मैंने कहा-तो चचा मैं आपकी मदद कैसे कर सकता हूँ? चचा तुरंत बोले- अबे शक्तिमान,तुम तो शांत ही रहो। देश की दो पार्टियों की धड़कन बढ़ी जा रही है और तुम हो की,सोने जा रहे हो। तुमसे कुछ न हो पायेगा बेटा,तुम सो ही जाओ। 
मैंने कहा-फिर भी चचा,कुछ तो मदद कर ही सकता हूँ ना। तो चचा ने फौरन बोला कि बेटा, मैं चाहता हूँ तुम अपनी बाइक निकाल लेते तो तुम्हारे साथ में थोड़ी कांग्रेस वाली ससुराल चले जाते और जैसे ही आधी रात ख़त्म होती तो वहां से बहाना बनाकर भाजपा कार्यलय चलते क्योंकि हमें दोनों पार्टियों को इम्प्रेस करना पड़ेगा न। अब इस बार मीडिया के एग्जिट पोल ने तो दोनों को जिता दिया है। इसीलिए अब दोनों को इम्प्रेस करेंगे न। जब चचा ये सब बोल रहे थे तो मेरे मन में चल रहा था की इसीलिए तो तुम्हें मेरे दोस्त बिचोलिये चचा कहते हैं और कुछ लोग तो दल्ला कहते हैं। जब चचा दोनों को इम्प्रेस करने की रणनीति बना लिए तो मेरे दिमाग में आया की चचा से तो बाइक चलाते आती ही नहीं। इसलिए मैंने तुरंत बोला कि- चचा आप मेरी बाइक ले लीजिए और चले जाइये क्योंकि मुझे लूज-मोशन हो रहा है। इसलिए तो मैं वॉशरूम में था। आपको ये सब बताने वाले थे लेकिन आप सुन ही नहीं रहे थे। अब चचा सोच में पड़ गए की आखिर मैं गाड़ी कैसे चला के जाऊं?

Monday, 24 September 2018

तो सवाल उठता है आखिर भारत विश्वगुरु कैसे?




वक्त है बदलने का,वक्त है कुछ कर जाने का 
वक्त है देश को विश्वगुरु कहलाने का 
लेकिन सवाल है कैसे? 

जब भ्रष्टाचार की आंधियां हर ओर हो
जब देश के युवा बेरोजगार हो
जब मंदिर-मस्जिद से भगवान और आल्हा खोने लगे 
जब हैवानियत का बोझ,धर्म ढोने लगे 
जब मैली गंगा ,स्वयं का पाप धोने लगे 
तो सवाल उठता है आखिर भारत विश्वगुरु कैसे? 

जब राजनीती की तलवार हो 
साम्प्रदायिकता का भूत सवार हो 
जब हत्यारों की पूरी बाजार हो 
जब हर हफ़्ते बलत्कार हज़ार हों 
तो सवाल उठता है भारत विश्वगुरु कैसे?

जब मां की कोख में ही बेटियां आने से डरने लगे 
जब देश का अन्नदाता भूख से मरने लगे 
जब सत्यमेव जयते में भी में झूठ जड़ने लगे 
जब राजनीती सड़क में पड़े-पड़े सड़ने लगे 
तो सवाल उठता है भारत विश्वगुरु कैसे? 

जब कश्मीर का स्वर्ग,नर्क में बदलने लगे 
जब देश का हर बच्चा, हिंसा में पलने लगे 
जब सत्य का एक हिस्सा,झूठ से संभलने लगे 
जब देश की धरती,भेदभाव की आग उगलने लगे 
तो सवाल उठता है,भारत विश्वगुरु कैसे? 

जब साहित्य से सत्य खोने लगे 
जब पत्रकारिता के  तथ्य घुंधले होने लगे 
जब धर्म ,हिंसा का बीज बोने लगे 
जब इंसानियत फूट-फूट कर रोने लगे 
तो सवाल उठता हैभारत विश्वगुरु कैसे?
               
                                                                                   मेरा ज़िक्र
                                                                                (शुभांक शुक्ला)

Sunday, 16 September 2018

उनकी नहीं लड़खड़ाती जुबान


सत्ता के शीर्ष पर जो हैं विराजमान 
अब उनकी नहीं लड़खड़ाती जुबान 

नसबंदी से लेकर शराबबंदी 
यहाँ तक की नोटबंदी 
हर बात में हर सरकार फेल 
फिर भी चल रहा है उनका घिनौना मायावी खेल 
और चेहरे में है गजब की चमक और शान 
क्योकि अंधभक्तों ने किया सत्ता में उन्हें विराजमान 
इसीलिए नहीं लड़खड़ा रही उनकी ज़ुबान 

चहुँ ओर है भ्रष्टाचार
 हिन्दू -मुस्लिम पर चलाते तलवार 
बढ़ती जा रही धार्मिक दीवार 
युवा बैठा है खाली बेकार 
क्योंकि आने वाला है 10 करोड़ रोजगार 
इसी वादे पर चलती सरकार 
अच्छे दिन का है उनका फ़रमान 
सत्ता के शीर्ष पर जो विराजमान 
अब उनकी नहीं लड़खड़ाती है जुबान 

कुछ लोगों का है  कहना 
मोदी को बिना गोदी मीडिया के नहीं रहना 
जुमलों के सागर में नित दिन है सबको बहना 
ख़िलाफ़ हुए जो इनके 
तो बहता हुआ खून पड़ेगा सहना 
अंधभक्तों ने मारने-काटने का किया फरमान
क्योंक़ि उनके आका है शीर्ष पर विराजमान 
शायद इसलिए नहीं लड़खड़ाती इनकी ज़ुबान 

   रामराज्य है भारत में छाया 
  कालाधन है वापस पाया 
  370(कश्मीर) का हटा है साया 
  5 लाख हर खाते के सौगात में आया
 महंगाई से न सिर चकराया 
  क्योंकि हमको है सरकार पे अभिमान 
 सत्ता के शीर्ष पर जो हैं विराजमान 
  अब उनकी नहीं लड़खड़ाती है जुबान
                                                           
                                                                                                   मेरा ज़िक्र
                                                                                                     शुभांक शुक्ला

Monday, 10 September 2018

SC/ST एक्ट की सच्चाई


आज सुबह जब मैं सो रहा था तो अचानक मेरे घर के दरवाजे कोई पीटने लगा मानो चारों तरफ़ आग लगी हो और मुझे बचाने के लिए कोई भगवान बनकर आया हो और दरवाजे जोर-जोर  हो लेकिन मेरे मन में एक और सवाल ने दस्तक़ दिया कि क्या कोई भगवान इतने जोर-जोर से दरवाज़े को पीटेगा.सवाल का जवाब मिलने से पहले ही दरवाजे के दूसरी ओर से आवाज आई कि "मर गया क्या?" मैंने बोला तनिक सांस लीजिए महादोय लुंगी,टॉवल या फिर कैपरी कुछ तो पहनने दो क्योंकि मेरी आदत चड्डी और बनियान पहनकर सोने की है और देर रात तक नेताओं के ट्विटर पर वादे पढ़ते रहने की आदत है इसीलिए सुबह 11-12 बजे तक सोता रहता हूँ.कुछ देर के बाद जब मैं दरवाज़ा खोला तो हैरान रह गया कि मेरे सामने 6-7 पुलिस वाले खड़े थे जिसमे SI भी था.मैंने हाथ जोड़कर पूंछा साहेब आप सुबह-सुबह मेरी झोपड़ी पर कैसे? उनमे से एक कॉन्स्टेबल मज़ा लेते हुए बोला "बेटा तुझे ससुराल ले जाने के लिए आए हैं" हालाँकि मेरी बचपन से ही इच्छा शादी करने की रही है पर मुझे पता नहीं था कि मेरे पिता जी अचानक पुलिस वाले की लड़की से रिश्ता इतना जल्दी तय कर देंगे। मैंने बोला साहेब लेकिन मेरी घरवालों से अभी तक मेरी बात भी नहीं हुई और मुझे पता भी नहीं है कि "मुझे शादी से पहले ससुराल जाना चाहिए या नहीं?" चंद सेकण्ड रुकिए,मैं घरवालों से पूँछ लेता हूँ  तभी मेरे सामने खड़े कई खाक़ी वालों में से एक ने कहा मज़ाकिया अंदाज में बोला "बेटा तुम्हारी शादी तो हम कराएँगे ही लेकिन पहले जरा चलो कुछ और शादी की रस्में पूरी कर लें" ये वाक्य पूरा नहीं हुआ था कि एक मोटा-तगड़ा सा कॉन्स्टेबल मेरी बाजू पकड़कर मुझे तेज से अपनी ओर खींच लिया और जब मैंने ख़ुद को आज़ाद करने की कोशिश कि तो उनमे से खड़े सभी पुलिसवालों ने मुझे ऐसा दबोचा जैसे मैं पागल सांड हूँ और वो मुझ पर काबू पाना चाहते हैं.किसी ने मेरे हाथों को जोर से पकड़ कर उठाया और किसी ने मेरे दोनों पैरों को जोर से उठाया और मुझे ले जाने लगे.तभी मेरी लुंगी छूटने लगी और मैं ख़ुद को छुड़ाने की बजाय लुंगी के अंदर छिपी इज्ज़त को बचाने लगा और अंततः इज्ज़त बचाने में सफ़ल भी हुआ .उन्होंने मुझे ले जाकर 100 नंबर डॉयल में बिठा लिया और गाड़ी स्टार्ट करके धीरे-धीरे चलने लगे.अब चूँकि सुबह-सुबह पुलिस तो मुझे ले ही जा रही थी पर उठते ही सुबह चाय पीने की जो मेरी लत पड़ चुकी थी कम्बख्त इसे अब कैसे झेलूं? मेरे मन में चाय पीने की तड़प बढ़ चुकी थी और चरम सीमा पार होने वाली थी तभी मेरे पास बैठे एक गंभीर और समझदार लग रहे चेहरे वाले कॉन्स्टेबल से कहा कि साहेब सुबह का माहौल है,चाय-नास्ता के लिए जरा गाड़ी कहीं रुकवा लीजिए. वो मुझे टकटकी लगाए निहारता रहा तो मुझे समझ में आ गया कि बंदा चेहरे से ही नहीं बल्कि ड्यूटी के प्रति भी गंभीर है.अब चल रही गाड़ी से सड़क के चारों ओर देखने लगा सोचा चाय पीने का मौका नहीं मिल रहा,कम से कम चाय की एक झलक देखने को ही मिल जाए.जब मैं गाड़ी से बाहर की ओर देखने लगा तो पाया की हज़ारो की भीड़ सामने से आ रही है,जिनके हाथों में पोस्टर,बैनर और उनके बीच से जोर-जोर से नारों की आवाज़ आ रही थी. चूँकि सड़क की ओर मैं इसलिए देख रहा है ताकि मुझे चाय दिख सके लेकिन मुझे चाय की चाहत नहीं बल्कि लोगों की गुस्से से जुटी भीड़ दिखी.मन में लिए कई सवालों को लेकर मैं थाने पहुंचा और अंदर जैसे ही गया तो पाया कि हवालात में कई बड़े,बूढ़े,बच्चे और युवा अंदर बैठे हुए हैं.उन लोगों में मुझे पढ़ाने वाले अध्यापक संतोष सिंह और मेरे पास वाली मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी जी भी थे.मैं ये सब देखकर थोड़ी अचंभित हुआ और उन्हें लगातार देखने लगा कि आखिर ये सब यहाँ कैसे? तभी एक पुलिसवाले ने मेरे पिछवाड़े पर डंडा मारते हुए बोला  चलो DSP सर तुम्हें याद कर रहे हैं.मुझे पहली बार पता चला था कि जब ससुराल में DSP साहेब याद करते हैं तो पिछवाड़े में डंडे द्वारा आमंत्रण दिया जाता है.खैर ,मैं DSP के पास पहुंचा और बोला साहेब नमस्कार,आखिर मुझे यहाँ क्यों लाया गया है?


वो बोले "बेटा तुम पर एक रिपोर्ट दर्ज़ की गई है.


मैं बोला -कैसी रिपोर्ट?


उन्होंने बोला की तुमने अपने दोस्त को जातिसूचक शब्द से बुला लिया है और वो अपमानित हो गया है.इसलिए उसने रिपोर्ट दर्ज करवाई है.मैं ये सब सुनकर भौचक्का रह गया और बोला कि साहेब,ऐसा मैंने तो नहीं किया बल्कि मेरा वही दोस्त मुझे पंडित,पंडित ,पंडित  .... मेरे जातिसूचक शब्द से बुलाता रहता है. तो इस स्थिति में मैंने तो उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई? तो DSP साहेब बोले " बेटा वो तुम्हे जातिसूचक शब्द से बुला सकता है लेकिन तुम नहीं,क्योंकि सरकार ने उनके लिए कानून बनाया है तुम्हारे लिए नहीं" मैंने थोड़ी असहज़ होकर बोला लेकिन साहेब- सरकार ने सबको समानता का अधिकार भी तो दिया फिर मेरे द्वारा जब जातिसूचक शब्द का उपयोग नहीं किया गया फिर भी मुझे थाने क्यों लाया गया है? वो बोले "बेटा भारत देश का अब यही कानून है" तो मैं भावुक होकर बोला- अच्छा साहेब मैं अपने पिता जी को फोन लगाना चाहता हूँ और वक़ील को बुलाना  चाहता हूँ और बेल के लिए अप्लाई करना चाहता हूँ.क्योंकि UPSC का एग्जाम मेरे तीन दिन बाद हैं.

साहेब कुछ देर मेरी ओर देखते रहे और मुझे पूंछा कि क्या सच में तुम्हारा एग्जाम है?

मैंने बोला- मेरा एडमिट कार्ड आप इंटरनेट में देख सकते हैं.

तभी DSP साहेब कुछ देर सोचते रहे और पास खड़े कॉन्स्टेबल से बोले कि जिस लड़के ने इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई है,उसे बुलाओ....

तभी पास खड़े कॉन्स्टेबल ने बोला-सर, शुभांक शुक्ला के जिस दोस्त ने इसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई है.उसका भी UPSC का एग्जाम तीन दिन बाद है.इसलिए वह रिपोर्ट लिखवाकर शहर से दूर एग्जाम देने के लिए चला गया है.

कॉन्स्टेबल की इस बात को सुनकर मुझे ज्यादा हैरानी नहीं हुई क्योंकि मुझे उसके एग्जाम का पहले से पता था लेकिन  इस बात को सुनकर DSP साहेब अचंभित हो गए और गहरी दुविधा में फंस गए.

अब अगर मुझे वो एग्जाम देने के लिए छोड़ देगें तो कानून का अपमान होगा और अगर मुझे वो जाने नहीं देगें तो मेरी पूरी मेहनत बेकार चली जाएगी।

तभी मैंने गंभीरता से मायूस होकर पूंछा-साहेब,आप क्या सोच रहे हैं?

DSP साहेब के कुछ बोलने से पहले ही पास खड़े कॉन्स्टेबल ने हँसते हुए बोला- अब 6 महीने जेल without बेल.

इस बात को सुनकर साहेब का चेहरा थोड़ी उतर गया और वो मुझे दया के भाव से देखने लगे.

अब चूँकि मैं भी UPSC की तैयारी कर ही रहा था और कानून की पढाई भी की थी इसलिए मैं सब समझ गया और खुद को हारा हुआ महसूस करने लगा.

तभी कॉन्स्टेबल ने मेरे हाथों को जोर से पकड़ा और हवालात में बंद कर दिया.उसी हवालात में जहाँ मास्टर जी और पुजारी जी थे.


कुछ घंटो तक वो मुझे और मैं उन्हें देखता रहा.वो दोनों मुझसे सवाल करना चाहते थे लेकिन वो कुछ पूँछ नहीं पा रहे थे शायद इसलिए क्योंकि जो कभी मुझे ज्ञान दिया करते थे वो आज खुद को मुजरिम समझ रहे थे और जो कभी मंदिर में पुण्य का गुणगान किया करते थे आज वो खुद को पाप का भागीदार समझने लगे थे.मैंने हिम्मत करते हुए उन दोनों की आपबीती जानने की कोशिश कि तो पता चला की मास्टर जी ने किसी बच्चे को होमवर्क न करने की वजह से 10 मिनट क्लास के बाहर खड़ा कर दिया तो रिपोर्ट दर्ज होने के बाद वो खुद अंदर हो गए और पुजारी जी से जब पूंछा तो उन्होंने बताया कि अब क्या बताऊँ बेटा? पूजा के दौरान मैंने चप्पल बाहर उतारने के लिए कह दिया तो मेरे खिलाफ भी रिपोर्ट हो गई और मैं यहाँ पहुँच गया.


कुल मिलाकर अब हम तीनों को ज्ञात हो गया था कि 6 महीने यहीं रहना है इसलिए किसी भी तरह दिन काटना है. मैं अब हर दिन मास्टर जी के ज्ञान और पंडित जी के सुनाये गए भागवत कथा का अनुसरण करने लगा और 6 महीने किसी तरह हवालात में बिताया. 6 महीने बाद पता चला कि हम तीनों पूरी तरह से निर्दोष हैं और बाइज्जत हवालत के बाहर भेजा गया.और जिन्होंने हम तीनो के खिलाफ झूठी रिपोर्ट की थी उन पर मानहानि का केस लगाया गया लेकिन बाहर निकलने के बाद अब दुनिया पूरी तरह से अलग दिख रही थी मास्टर जी के यहाँ अब कोई पढ़ने नहीं आता था.जेल गए पुजारी जी की बजाय मंदिर में दूसरे पुजारी जी आ गए थे. और मै अपना ज़िक्र क्या करूं? मेरे आस-पास के लोग मुझे घूरने लगे थे। मुझे कचरे की तरह असामाजिक तत्व समझने लगे थे.समय बीतता गया और मैं 22 साल से 32 साल का हो गया लेकिन मेरी शादी के लिए एक भी रिश्ते नहीं आये क्योंकि मैं 6 महीने जेल में था और जाहिर सी बात है कोई भी पिता,अपनी बेटी की शादी जेल गए लड़के से किसी भी शर्त में नहीं करेगा। मैं सोचा अब अब शादी तो होगी नहीं कम से कम रोजगार ही मिल जाए इसलिए मैं कलेक्ट्रेट पहुंचा तो देखा जिसने मेरे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी आज वो साहेब कलेक्टर बन गए हैं इसलिए मैं उन्हें नमस्कार किया और बोला की साहेब अगर कहीं पर कोई सरकारी वैकंसी आए तो जरूर बताइयेगा।

नोट:2015 में NCRB की रिपोर्ट के अनुसार sc/st के कुल 15636 केस में 11024 केस झूठे पाए गए थे.                         
                                                         शुभांक शुक्ला 

Saturday, 19 May 2018

कैंसर से भी बड़ी इश्क़ की बीमारी

कैंसर से भी बड़ी इश्क़ की बीमारी होती है जो जिंदगी को ना तो जीने देती है और ना चैन से मरने देती है..आप कई दफ़ा कोशिश करके भी इस बीमारी से दूर नहीं हो पाते हैं। दिन-रात बस उसी के ख्वाबों में डूबे रहते हैं। पलकें बंद करते ही उसका चेहरा आपके सामने आ जाता है। उसकी हर बातें आपके दिलो-ओ-दिमाग में दौड़ने लगती हैं। आप लाख कोशिश करके भी उसके ख्यालों के बिना एक पल के लिए नहीं सो पाते हैं। जब वो आपके अलावा किसी और को अपनी जिंदगी में ज्यादा इम्पॉर्टेन्स देती है तो आप हज़ार बार मरकर भी ख़ुद को जिंदा रखने की कोशिश करते हैं। आप कतरा-कतरा उसके प्यार को तरसते ही नहीं बल्कि कतरा-कतरा ख़ुद की जिंदगी में बिखरते भी जाते हैं। आप हज़ार दफ़ा ख़ुद के मासूम दिल को समझाते हैं कि वो सिर्फ़ आपकी है...... लेकिन उसके दूर जाने का डर आपकी जिंदगी का सबसे बड़ा दुश्मन बनकर बैठा होता है। आप उसके ज़िस्म को छूकर गुजरी हवा से भी बैर पालने लगते हैं। आप ख़ुद को कई बार मारकर भी उसकी खुशियों को पूरा करने की कोशिश करते हैं। आप उसके बिना कामयाबी पाकर भी ख़ुद को असफ़ल मानते हैं और हर वक्त गम के साये में जीते हैं लेकिन उसके साथ रहने पर आप ख़ुद को सबसे ज़्यादा क़ामयाब मानकर जिंदगी के हर पल को मोहब्बत में जीते हैं। आप रात को सोने से लेकर  सुबह जागने तक बस उसी के लिए हर साँस लेते हैं। आप खुशियों के बाजार में ख़ुद की धड़कनों को नीलाम करके भी उसकी खुशियों को मांगते हैं। आप बस दिन-रात उसके ख्यालों में,उसकी बातों में व उसकी घायल कर देने वाली अदाओं में डूबे रहते हैं। आप उसके बिना जिंदगी में एक कदम चलने का ही नहीं बल्कि एकपल जीने की भी कल्पना नहीं करते हैं। शायद दुनिया में इसी को सच्चा प्यार कहते हैं। "भले ही इश्क़ की बीमारी ,कैंसर से भी ज़्यादा खतरनाक हो लेकिन आप इश्क़ के कैंसर में भी ईश्वर का रूप देखते हैं। शायद इसी लिए इश्क को भगवान का रूप कहा जाता है। " शायद इसी लिए दुनिया में सबसे ज्यादा अनमोल इश्क़ का एहसास होता है।   

           
                                                                                                                         मेरा ज़िक्र
                      ( शुभांक शुक्ला)

Friday, 23 February 2018

‌घोटालों से दम तोड़ता "डिजिटल इंडिया"


हमारा देश वर्तमान समय मे सामाजिक,सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के नये-नये आयामों को हासिल करके विश्वपटल में इतिहास बना रहा। विश्व बैंक की वैश्विक आर्थिक संभावनाओ के अनुसार वर्ष 2018 में भारत की विकास दर में वृद्धि के अनुमान लगाए जा रहे है। परन्तु देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक में करीब 11,500 करोड़ रुपये का महाघोटाला, विश्व बैंक के अनुमान को निराधार साबित कर सकता है। देश मे प्रत्येक दिन उजागर हो रहे घोटाले ,देश के विकास की नींव को कमजोर कर रहे है। पंजाब नेशनल बैंक में उजागर घोटाला,देश का कोई पहला घोटाला नही है अपितु इसके पहले भी शेयर बाज़ार के गुरु-चेले की जोड़ी कहे जाने वाले हर्षद मेहता और केतन पारेख ने 90 के शुरुआती दशक में 5000 करोड़ रुपये की चपत सरकार को लगाई थी। बैंको से ऋण लेकर और फर्जीवाड़ा करके घोटालो को अंजाम देने का सिलेबार क्रम लगातार बढ़ता रहा और हर्षद मेहता के बाद ललित मोदी द्वारा 7000 करोड़ रुपये का घोटाला और ललित मोदी के बाद विजय माल्या द्वारा 9400 करोड़ रुपये का घोटाला,देश की जनता के सामने उजागर हुआ। इन सभी घोटालो में बैंक के साथ-साथ भारत सरकार के लिए भी महत्वपूर्ण चुनौती का विषय है कि 1992 में बैंको से ऋण लेकर फर्जीवाड़े की नींव रखे जाने वाला 5000 हज़ार करोड़ रुपये का घोटाला,2017 में विकास करके लगभग 11,500 करोड़ रुपये तक पहुँच जाता है लेकिन बैंक और भारत सरकार की आँखे नही खुलती है। देश मे जब भी कोई घोटाला उजागर होता है तो चारों तरफ राजनीतिक घमासान शुरू हो जाता है और पार्टियों द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर प्रारंभ हो जाता है। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में भी राजनीतिक युद्ध छिड़ गया है। दावोस में एक साथ नजर आते हुए PNB घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी के साथ देश के प्रधानमंत्री की तस्वीर दिखाकर और PNB घोटाले के दूसरे आरोपी मेहुल चौकसी को देश के प्रधानमंत्री द्वारा "भाई जी" संबोधन करने पर कांग्रेस पार्टी नीरव मोदी,मेहुल चौकसे और प्रधानमंत्री के बीच मज़बूत रिश्ते को साबित करने में लग जाती है तो कभी केंद्र के शीर्ष में बैठी सत्तारुढ़ पार्टी इस विषय पर बहस करती है कि PNB घोटाला तब हुआ,जब 2011 में कांग्रेस का शासन था। सवालो के दौर में बैंको में भी सवाल उठता है की आम नागरिक अथवा किसानों द्वारा लगभग 1.5 लाख के ऋण न चुका पाने पर बैंक कर्मचारियों द्वारा किसानों के खेत,ट्रेक्टर व अन्य चीजें ज़ब्त करके किसानों को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है तो फिर देश के अमीरो को विश्वास के माध्यम से हज़ारो
करोड़ो का ऋण क्यों दे दिया जाता है? कुछ महीने पहले कि एक घटना है जब उत्तरप्रदेश के सीतापुर में किसान की मौत के बाद बैंक ने उसके 12 साल के बेटे को पिता द्वारा लिए कर्ज़ को जमा करने के लिए नोटिस भेज देता है तो फिर नीरव मोदी और मेहुल चौकसे के साथ 2011 मे ही कड़ी कार्यवाही क्यों नही की गई। बैंको द्वारा निष्पक्ष ऋण चुकाने की प्रक्रिया के कारण ही घोटालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि जिस दिन PNB घोटाला उजागर होता है उसके अगले दिन ही प्रवर्तन निदेशालय द्वारा नीरव मोदी के विभिन्न स्थानों से लगभग 5100 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त कर ली है परंतु 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी हुई थी तो भारतीय रिजर्व बैंक को पुराने नोटों की गिनती करने में लगभग एक साल लग गए थे तो फिर नीरव मोदी की ज़ब्त संपत्ति का हिसाब एक दिन में कैसे हो  सकता है? हमारे देश में बड़े-बड़े कारोबारी द्वारा  हज़ारो करोड़ रूपये का घोटाला करके विदेश चले जाना,भारत सरकार की असफलता को दर्शाता है।  लेकिन दो अहम सवाल है की  नीरव मोदी ने PNB के अलावा और कितने बैंको से लेटर ऑफ़ अंडर  टेकिंग लेकर फर्जीवाड़ा किया है  ? तथा दूसरा महत्वपूर्ण सवाल कि  विजय माल्या,ललित मोदी और नीरव मोदी द्वारा बैंको से कर्ज़ की भरपाई क्या देश की जनता द्वारा टैक्स के माध्यम से भरा जायेगा?
                                                                                                                                                                   ( शुभांक शुक्ला )

Wednesday, 14 February 2018


महाशिवरात्रि पर शिव के बोल....

आज महाशिवरात्रि का पर्व है। आज के दिन ही शिव-पार्वती के दांपत्य जीवन की शुरुआत हुई थी। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार दुनिया का प्रथम प्रेम विवाह शिव-पार्वती का हुआ था,जिन्होंने आज के शुभ दिन ही एक-दूसरे के प्रेम को दांपत्य बन्धनों के सूत्र में बांध दिया था।

कुछ दिन पूर्व मेरे द्वारा  " कलयुग बोल रहा..." नामक कविता लिखी गई थी जिसमे कलयुग का पाप, सत्य पर विजय पाने का प्रयास करता है। उसी कविता के दूसरे भाग में महाशिवरात्रि के शुभ-दिन मे शिव द्वारा स्वयं के सत्य का बखान किया जा रहा है।



पाप का सर्वनाश करके , पुण्य को बढ़ाता हूँ
इस धरा से दानव को ,वध करके मै भागता हूँ
है नही इस भूमी में ,जो कि मुझको ठग सके
सत्य के सच्चे भक्त को , हृदय से बुलाता हूँ
पुण्य को बढ़ाता हूँ , पुण्य को बढ़ाता हूँ

  जो क्रोध मुझको दिलाता है,उसके लिए काल हूँ
   जो प्रेम से बुलाता है , उसके लिए महाकाल हूँ
   भस्म को लपेटकर , हर-जगह मैं व्याप्त हूँ
 ॐ का मैं जापकर, ताँडव में बेमिसाल हूँ
मैं ही महाकाल हूँ, मैं ही महाकाल हूँ

   सबके ह्रदय में बसता हूँ, कण-कण में सवार हूँ
   नंदी मेरा है सारथी ,मैं उसका आधार हूँ
  मिल जाता उसको मैं, जो ह्रदय से है ढूढ़ता
    मुझसे ही ब्रम्हांड है, पूरे सृष्टि का मैं ही सार हूँ
कण-कण में मैं सवार हूँ, कण-कण में मैं सवार हूँ
                                                  

                                       शुभांक शुक्ला
                                      (मेरा ज़िक्र)
     







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