आज रात 10 बजे जब मैं सोने जा ही रहा था कि अचानक चचा का फोन आया। ये वही चचा हैं जो कभी भाजपा की तारीफ़ करते दिखतें हैं और कभी कांग्रेस की तारीफ़ करते दिखते हैं। कभी भाजपा की आलोचना करते हैं तो कभी कांग्रेस की। और स्वयं को निष्पक्ष बताते हैं। लेकिन मेरे दोस्त इन्हें बिचौलिए चचा(दल्ला) बुलाते हैं। मेरे दोस्तों को लगता हैं ये दोनों की खाते हैं और दोनों की बजाते हैं। बजाने से अर्थ डमरू या नगाड़े से हैं यानी तारीफ़ से है। अब चूँकि मैं सोने जा रहा था तो मन किया की इनका फोन न उठाऊं और जब सुबह मिलेंगे तो बोल दूंगा की चचा मैं सो गया था और मेरा मोबाइल साइलेंट था। लेकिन उनका तीन बार फोन आने से मुझे लगा की चचा कहीं संकट में तो नहीं हैं इसलिए मैंने फोन उठाया और मेरे कुछ बोलने से पहले ही चचा ने कहा अबे *तिया..तुम साले मेरा फोन नहीं उठा रहे हो,अपने आपको मोदी समझने लगे हो क्या? मैंने थोड़ा सकपकाते हुए झूठ बोला चचा मैं वॉशरूम में था और इसलिए नहीं उठा पाया। आगे कुछ बोलने ही जा रहा था की चचा ने आव देखा न ताव,सीधे बोले अबे साले तुम क्या पत्रकार बनोगे? जब तुम वॉशरूम में मोबाइल ही नहीं ले जाते हो? मैंने कहा - आपका मतलब नहीं समझा चचा। तो उन्होंने फौरन कहा अबे बुड़बक,पत्रकार जो होता है ,वो खाने से लेकर नहाने तक मोबाइल साथ में रखता है ,क्या पता कब ब्रेकिंग न्यूज आ जाए की 15 लाख रुपये खाते में आ गए हैं। मैंने कहा-ओह्ह ...उन्होंने कहा ये ओह्ह और आहह छोड़ो ये बताओ,अभी तुम कौन से वाले ससुराल जाने वाले हो. मैंने कहा-मतलब ? उन्होंने खिसियाते हुए बोला-अबे क्षीणबुद्धि,हम तुम्हें सारी उम्र लगता है मतलब ही समझाते रह जाएंगे और लोग पत्रकारिता करते-करते संसद में पहुंच जाएंगे। मैंने कहा मुझे तो चचा संसद नहीं जाना बल्कि पत्रकारिता ही करना है। उन्होंने झठ से मेरा अगले शब्दों को रोकते हुए बोले अबे तुम सड़कछाप पत्रकार ,ई बताओ की तुम अभी कांग्रेस वाले ससुराल जा रहे हो या फिर बीजेपी वाले ससुराल। तो मैंने कहा अभी मैं तो सोने जा रहा हूँ। तो उन्होंने बोला- इसलिए तुम्हारे दोस्त तुम्हें नल्ला कहते हैं। अबे बैलबुद्धि, जब दूसरे दिन चुनाव परिणाम आने वाला हो,ऐसी कालीरात ही तो हम जैसे लोगों का जीवन बनाती है। हमें तय करना होता है कि कल कौन सी पार्टी जीतेगी और कौन सी पार्टी नहीं। और उसी के यहां हम रात भर जगराता करते हैं और उन्हें विश्वास दिलाते हैं की हम उनके जीत की दुआ करते हैं और उन्हें इम्प्रेस करने की कोशिश करते हैं। जब चचा ये मुझे बता रहे थे तभी मैंने कहा तो चचा आपको कैसे पता चलता है की कल कौन जीतेगा? चचा निराश होते हुए बोले- भतीजे! जैसे ही उन्होंने मुझे संबोधित करते हुए अबे नहीं लगाया,उसी वक्त मैं समझ गया कि अब चचा मुद्दे की बात करेंगे और मैं उन्हें ध्यान से सुनने लगा।फिर चचा रोती हुई आवाज में बोले- हर बार तो न्यूज चैनल एग्जिट पोल निकालते थे तो लगभग पता चल ही जाता था कि कौन जीतेगा? लेकिन इस बार न्यूज़ चैनल ने दो-दो एजेंसियों से सर्वे करवाये हैं तो उसी चैनल का एक सर्वे भाजपा को जिता रहा है और एक सर्वे कांग्रेस को जिता रहा है।अब समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर जीत कौन रहा है? तो मैंने व्यंग मारते हुए बोला की तो फिर आज आप कौन सी ससुराल जा रहे हैं? दुःखी होते हुए चचा बोले-अबे गधे,अगर मुझे पता होता तो वहां अभी पहुंच नहीं जाता। तुमसे फोन में बतिया नहीं रहा होता। मैंने कहा-तो चचा मैं आपकी मदद कैसे कर सकता हूँ? चचा तुरंत बोले- अबे शक्तिमान,तुम तो शांत ही रहो। देश की दो पार्टियों की धड़कन बढ़ी जा रही है और तुम हो की,सोने जा रहे हो। तुमसे कुछ न हो पायेगा बेटा,तुम सो ही जाओ।
मैंने कहा-फिर भी चचा,कुछ तो मदद कर ही सकता हूँ ना। तो चचा ने फौरन बोला कि बेटा, मैं चाहता हूँ तुम अपनी बाइक निकाल लेते तो तुम्हारे साथ में थोड़ी कांग्रेस वाली ससुराल चले जाते और जैसे ही आधी रात ख़त्म होती तो वहां से बहाना बनाकर भाजपा कार्यलय चलते क्योंकि हमें दोनों पार्टियों को इम्प्रेस करना पड़ेगा न। अब इस बार मीडिया के एग्जिट पोल ने तो दोनों को जिता दिया है। इसीलिए अब दोनों को इम्प्रेस करेंगे न। जब चचा ये सब बोल रहे थे तो मेरे मन में चल रहा था की इसीलिए तो तुम्हें मेरे दोस्त बिचोलिये चचा कहते हैं और कुछ लोग तो दल्ला कहते हैं। जब चचा दोनों को इम्प्रेस करने की रणनीति बना लिए तो मेरे दिमाग में आया की चचा से तो बाइक चलाते आती ही नहीं। इसलिए मैंने तुरंत बोला कि- चचा आप मेरी बाइक ले लीजिए और चले जाइये क्योंकि मुझे लूज-मोशन हो रहा है। इसलिए तो मैं वॉशरूम में था। आपको ये सब बताने वाले थे लेकिन आप सुन ही नहीं रहे थे। अब चचा सोच में पड़ गए की आखिर मैं गाड़ी कैसे चला के जाऊं?
मैंने कहा-फिर भी चचा,कुछ तो मदद कर ही सकता हूँ ना। तो चचा ने फौरन बोला कि बेटा, मैं चाहता हूँ तुम अपनी बाइक निकाल लेते तो तुम्हारे साथ में थोड़ी कांग्रेस वाली ससुराल चले जाते और जैसे ही आधी रात ख़त्म होती तो वहां से बहाना बनाकर भाजपा कार्यलय चलते क्योंकि हमें दोनों पार्टियों को इम्प्रेस करना पड़ेगा न। अब इस बार मीडिया के एग्जिट पोल ने तो दोनों को जिता दिया है। इसीलिए अब दोनों को इम्प्रेस करेंगे न। जब चचा ये सब बोल रहे थे तो मेरे मन में चल रहा था की इसीलिए तो तुम्हें मेरे दोस्त बिचोलिये चचा कहते हैं और कुछ लोग तो दल्ला कहते हैं। जब चचा दोनों को इम्प्रेस करने की रणनीति बना लिए तो मेरे दिमाग में आया की चचा से तो बाइक चलाते आती ही नहीं। इसलिए मैंने तुरंत बोला कि- चचा आप मेरी बाइक ले लीजिए और चले जाइये क्योंकि मुझे लूज-मोशन हो रहा है। इसलिए तो मैं वॉशरूम में था। आपको ये सब बताने वाले थे लेकिन आप सुन ही नहीं रहे थे। अब चचा सोच में पड़ गए की आखिर मैं गाड़ी कैसे चला के जाऊं?