Sunday, 31 December 2017

नववर्ष का शुभारम्भ


    2k18: नववर्ष,नया हौसला,नया जोश

नई ऊर्जा का प्रवाह हर ओर होना चाहिए
नई किरण के साथ ,नववर्ष का भोर होना चाहिए
खुशियाँ, प्रेम और सफ़लता मिल जाये सभी को
प्रेम के बंधन में ,मज़बूत डोर होना चाहिए।।


जिंदगी में हौसलों की,उड़ान होना चाहिए
सभी के सपनो में,नई जान होना चाहिए
चमकना चाहिए,सभी के क़िस्मत का सितारा
मजिंलो की राह में, नई पहचान होना चाहिए

   नफ़रतें मिट जाये, ये प्रतीत होना चाहिए
   प्यार सबको मिले ये रीत होनी चाहिए
     सभी के दिल से, बुराई का अंत हो
    और अच्छाई की जीत होनी चाहिए

दुःख और दर्द का किस्सा,समाप्त होना चाहिए
सभी को सुख की अनुभूति,प्राप्त होना चाहिए।
नववर्ष में आप सभी को मेरी शुभकामनाएं
शुभ का संदेश ,हर जगह व्याप्त होना चाहिए।।
                
                                                  (मेरा ज़िक्र)
                                                शुभांक शुक्ला

                                     














   






Sunday, 24 December 2017

इश्क का इज़हार (भाग -1)

ब पहली बार तुम्हे देखा था ना..तो सच्ची बता रहा हूँ तुमसे बिल्कुल प्यार नही हुआ था ..लेकिन अब तुम्हारी अदाओ से प्यार हो गया है, तुम्हारी सादगी का दीवाना हो गया हूँ। मेरा दिल भी मुस्कुराने लगता है तुम्हारे मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर। तुम्हारा उदास चेहरा मेरे दिल में बेचैनी का तूफान ला देता है। तुम जब मेरे पास नही होती तो मुझे लगता है जैसे मैं भी नही हूँ, लेकिन जब तुम मेरे पास होती है तो लगता है तुम्हारे होने से ही ,मै हूँ। बेजान,बेरुख़ी सी पड़ी मेरे सपनो की दुनिया तुम्हारे आने से रंगीन हो गई है। तुम जब किसी और के साथ बाते करती है तो दिल तड़प उठता है,क्योंकि इस नासमझ आशिक को लगता है कि तुम पर सिर्फ़ मेरा हक़ है। शायद तुम्हे भी ऐसा लगता होगा जब मै किसी और की बातें तुमसे करता हूँ। मेरे हसीन ख्याबो में हरदम तुम्हारा ही हसीन पहरा हो। सोने से पहले और जागने के बाद तुम्हारा मुस्कुराता सा चेहरा हो। मै ये बिल्कुल नही कहूँगा की तुम मेरी जिंदगी हो क्योंकि जिंदगी के लिए धड़कनों की जरूरत होती है और तुम्हे अपनी जिंदगी मानकर तुम्हारी धड़कनो को मै लेना नही चाहता हूँ लेकिन  मै तुम्हारी जिंदगी बनना चाहता हूँ, तुम्हारे नाम अपनी सारी धड़कने करना चाहता हूँ। मेरी धड़कनों में सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारा हक़ हो।

                                                                                                                                                                                       "तुम्हारा शुभांक"

Saturday, 16 December 2017

आखिर क्यों


विश्वास है आज का दिन आपको नही याद होगा
क्योंकि आपका खुद का हँसी परिवार होगा
कैसे हम तोड़,अपने उसूल गए
कैसे हम 16 दिसम्बर भूल गए
आज के दिन ही तो,उसने दम तोड़ा था।
बेवजह हैवानियत का शिकार होकर,घर छोड़ा था
आज से पाँच साल पहले की बात है
आँसू से निकल रहे,मेरे जज़्बात है
जब देश के पाँच शैतानो ने
माँ की कोख के बेइमानो ने
निर्भया के साथ किया था बलात्कार
मरणोपरांत हुआ उसका,अंतिम संस्कार
आज के दिन राजधानी हुई थी शर्मसार
झुक गई थी दिल्ली की सरकार
दामिनी के स्वर्ग जैसे घर का,उजड़ गया था सारा संसार
अपराधियों को सजा की,लगी थी गुहार
फिर भी आज क्यों नही है
लड़कियों को स्वतंत्रता का अधिकार
क्यों उनको घर में छुपना पड़ता है
क्यों उनको हैवानियत के सामने झुकना पड़ता है
क्यों बलात्कार के गलियारों में,घूम रहे दरिदों से
शिक्षा के आधे पथ पर,उनको रुकना पड़ता है
आखिर कब पहुंचेगी , निर्भया की चीख पुकार
आखिर कब टूटेगा,दरिंदों का अंहकार
"अच्छे दिन" के नारे ,देश में खूब लगे थे
तो फिर कब जागेगी अपनी,भारत सरकार?
                                               
                                                मेरा ज़िक्र
                                                ( शुभांक शुक्ला)

Tuesday, 12 December 2017

महिला सुरक्षा पर सरकार और समाज का असुरक्षित व्यवहार

हमारे समाज में जंहा बेटियों को देवी दर्जा देकर पूजा जाता है और स्वर्णिम भारत बनाये जाने का सपना देखा जाता है। वंही दूसरी ओर समाज में आयदिन छेड़खानी, बदसलूकी और बलात्कार की वारदात सामने आती है,जोकि बेहद शर्मनाक और गंभीर विषय है। सरकार द्वारा इन घटनाओं में ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है बल्कि महिलाओँ को  सांत्वना दी जाती है अथवा राजनीती का महत्वपूर्ण विषय बनाकर महिला सुरक्षा के लिए पर्वत से भी ऊँचे विशाल वादे किए जाते है। जब प्रत्येक सरकार महिला सुरक्षा के वादों पर पार्टी की नींव बनाती है तो फिर क्यों कलाकार जायरा वसीम जैसी मासूम बेटियों को छेड़खानी का सामना करना पड़ता है। धाकड़ पहलवान का क़िरदार निभाने वाली बेटी जायरा के साथ हालही में हवाईयात्रा के दौरान होने वाली छेड़खानी हमारे देश के लिए बेहद शर्मनाक है और समाज व सरकार की गाल पर करारा तमाचा है,उनकी असफ़लता के लिए। होने वाली घटना से सवाल उठता है कि क्या सरकार द्वारा चलाये जा रहे महिला सुरक्षा सहायता नम्बर ,हवाईयात्रा में किसी महिला की सहायता करने में सक्षम है? कई राज्यो में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नम्बर चलाये जा रहे है परंतु हवाईयात्रा के दौरान होने वाले दुर्व्यवहार,अभद्रता और छेड़खानी की ज़िम्मेदारी कौन सी सरकार लेगी? हालांकि एयरलाइन्स ने जायरा वसीम के साथ होने वाली छेड़खानी की जिम्मेदारी ली है और विश्वाश जताया है कि मामला सही पाया गया तो संबंधित व्यक्ति को सदा के लिए हवाईयात्रा से प्रतिबंधित किया जा सकता है। परन्तु निष्पक्ष जाँच की कार्यविधि की तारीख़ क्या होगी? यह सवाल सभी बच्चियों और महिलाओं के मन में खटक रहा है।

जब हमारे देश में विकास के लिए नोटबन्दी और जीएसटी जैसे बड़े और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैसले त्वरित किये जा सकते है तो फिर केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं से छेड़खानी पर ठोस कदम त्वरित क्यों नही उठाये जा सकते है। ‌मध्यप्रदेश में महिलाओं के साथ बलात्कार पर आरोपी को फांसी की सजा का कानून विधेयक पारित होना राज्य सरकार द्वारा महिला सुरक्षा पर कड़ा कदम है। परन्तु विपक्ष पार्टीयों द्वारा कानून के दुरूपयोग होने की आंशका को राजनीतिक मुद्दा बनाकर बहस करना दर्शाता है कि विपक्ष महिला सुरक्षा पर गंभीर नही है। जबकि समाज में होने वाली छेड़खानी,बदसलूकी और बलात्कार जैसे गंभीर घटना पर राजनीतिक फायदे के नजरिये से नही बल्कि सभी को मानवता के नजरिये से देखना चाहिए।

                                                ( शुभांक शुक्ला )



Saturday, 2 December 2017

कलयुग बोल रहा है.......

आज कलयुग हर जगह व्याप्त है और ख़ुद के पाप का बखान कर रहा है। मानव की सच्चाई और अच्छाई पर कलयुग के बुराई की जीत हो रही है। कलयुग का पाप स्वयं को प्रबल मानकर "सत्य" को कुछ इस प्रकार ललकार रहा है!



मैं ही हूँ जो पृथ्वी में,पाप को बढ़ाने आया हूँ।
मित्रता को छोड़कर,शत्रुता निभानें आया हूँ
हैं नही इस भूमि में,जो की मुझको ठग सके
सवेरे को मैं बाँधकर, अँधेरा दिखाने आया हूँ
पाप को बढ़ाने आया हूँ, पाप को बढ़ाने आया हूँ....

शस्त्र भी वो है नही,जिससे मेरा संहार हो
पाप,छल और कपट पे,ना मेरा प्रहार हो
प्रहलाद को जो जन्म दे,वो हिरण्यकश्यप मैं नहीं
पूजे जो पत्थरों को,ऐसी भक्ति ना मेरा आधार हो.

मैं खड़ा रणक्षेत्र में,लड़ने की तैयारी में हूँ मैं
कलयुगी इस राम के ,सत्य से भी भारी हूँ मैं
सत्य और प्रेम के वश में ,मैं आता नहीं
जो मुझे है रोकता,उसका भी प्रतिहारी हूँ मैं
मैं खड़ा रणक्षेत्र में,लड़ने की तैयारी में हूँ मैं

                                                                                                 शुभांक शुक्ला

               (मेरा ज़िक्र)
     


धांसू है रणबीर कपूर का एनिमल फिल्म में अवतार, बाप-बेटे की कहानी रोंगटे खड़े कर देगी

फिल्म एनिमल में रणबीर कपूर का अवतार धांसू है। यह 2023 की बड़ी फिल्मों में से एक साबित होगी। फिल्म का ट्रेलर काफी शानदार है और रणबीर कपूर का ...