
करोड़ो का ऋण क्यों दे दिया जाता है? कुछ महीने पहले कि एक घटना है जब उत्तरप्रदेश के सीतापुर में किसान की मौत के बाद बैंक ने उसके 12 साल के बेटे को पिता द्वारा लिए कर्ज़ को जमा करने के लिए नोटिस भेज देता है तो फिर नीरव मोदी और मेहुल चौकसे के साथ 2011 मे ही कड़ी कार्यवाही क्यों नही की गई। बैंको द्वारा निष्पक्ष ऋण चुकाने की प्रक्रिया के कारण ही घोटालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि जिस दिन PNB घोटाला उजागर होता है उसके अगले दिन ही प्रवर्तन निदेशालय द्वारा नीरव मोदी के विभिन्न स्थानों से लगभग 5100 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त कर ली है परंतु 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी हुई थी तो भारतीय रिजर्व बैंक को पुराने नोटों की गिनती करने में लगभग एक साल लग गए थे तो फिर नीरव मोदी की ज़ब्त संपत्ति का हिसाब एक दिन में कैसे हो सकता है? हमारे देश में बड़े-बड़े कारोबारी द्वारा हज़ारो करोड़ रूपये का घोटाला करके विदेश चले जाना,भारत सरकार की असफलता को दर्शाता है। लेकिन दो अहम सवाल है की नीरव मोदी ने PNB के अलावा और कितने बैंको से लेटर ऑफ़ अंडर टेकिंग लेकर फर्जीवाड़ा किया है ? तथा दूसरा महत्वपूर्ण सवाल कि विजय माल्या,ललित मोदी और नीरव मोदी द्वारा बैंको से कर्ज़ की भरपाई क्या देश की जनता द्वारा टैक्स के माध्यम से भरा जायेगा?
( शुभांक शुक्ला )