Friday, 10 November 2017

जन्मदिन विशेष : श्री आशुतोष राणा

मध्यप्रदेश की पावन वसुंधरा में अनेक  वीर,योद्धा,कवि,साहित्यकार,नेता और अभिनेता ने जन्म लिया है। इन्ही सर्वश्रेष्ठ महापुरुषों में है अभिनेता आशुतोष राणा रामनारायण नीखरा उर्फ़ "आशुतोष राणा" का जन्म 10 नवंबर 1964 नरसिंह के गाडरवारा मध्यप्रदेश में हुआ था। आशुतोष जी का लालन-पोषण बचपन से ही सांस्कारिक परिवार में हुआ है। जिसके कारण आशुतोष जी ने भारत की संस्कृति को अपनाकर  व अध्यात्म को जीवन का आदर्श बनाया। पवित्र रामायण के श्रवण कुमार की तरह माता-पिता की सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर सन्मार्ग में चलते रहे और सफ़लता की अनन्त बुलंदियों को प्राप्त किया। इन्होंने गाडरवारा से ही शुरुआती बचपन की शिक्षा ग्रहण की। व बचपन की शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत सागर जिले के डॉ॰ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से कॉलेज अध्ययन प्रारम्भ किया तथा इसी दौरान रामलीला नाट्य समारोह में रावण का क़िरदार निभाया,जिसे देश के हर कोने में सराहा गया। इन्होंने करियर की शुरुआत छोटे पर्दे से की थी और काफ़ी हिट शोज़ किये। आशुतोष जी का विवाह सन 2001 में अभिनेत्री "रेणुका शाहने" जी से हुआ है। इनके दो बेटे है-शौर्यमान और सत्येंद्र।
शास्त्रों में कहा गया है की मोह,माया रूपी जगत में जन्म लेने वाला व्यक्ति अगर धरती में ही अपना भगवान "गुरु" को बनाता है और गुरु ज्ञान की दिशा में अग्रसर रहता है तो पृथ्वी में उसका जन्म सार्थक होता है और उसे जीवनपथ में हमेशा सफलताएँ प्राप्त होती। शास्त्र के इसी बात का अनुसरण करते हुए आशुतोष जी ने परमपूज्यनीय पंडित देव प्रभाकर शास्त्री जी को अपना भगवान रूपी गुरु बनाया। आशुतोष जी ,गुरूजी को प्रेम से श्री दद्दा जी कहकर पुकारतें है।  दद्दा जी के आशीर्वाद व स्वयं की प्रतिभा की वज़ह से आशुतोष जी आज फिल्मों की रंगीन दुनिया के चमकते हुए सितारें है। और आशुतोष जी से जब भी सवाल किया जाता है कि " कँहा फ़िल्मी दुनिया की चमक-धमक व रंगीन जिंदगी और कँहा ईश्वर की भजन भक्ति..आखिर कैसे दोनों मंचों में ख़ुद को ढाल पाते है आप? तब आशुतोष जी इस बारे में स्वयं के विचार को प्रस्तुत करतें है और कहते है कि " मैं अपने गुरु के कहने पर ही फ़िल्म जगत में आया था और अबतक 32 से अधिक फिल्में तथा अनेक टीवी धारावाहिकों में काम कर चुका हूं। आशुतोष राणा जी कहते है कि वे मध्यप्रदेश के रहने वाले सामान्य से छात्र थे और एलएलबी की पढ़ाई के बाद वक़ालत में अपना करियर बनाने की सोच रहे थे,लेकिन उनके गुरु दद्दा जी का आदेश हुआ की मैं फिल्मों में जाऊँ और इसके लिए मैं एनएसडी से अभिनय प्रशिक्षण लूँ।' आशुतोष जी कहते है कि प्रशिक्षण के बाद उन्हें एनएसडी में ही नौकरी का ऑफ़र हुआ और वह भी मोटी सैलरी पर,लेकिन उन्होंने फ़िल्म जगत में आने का रास्ता चुना। वे कहते है कि वे चाहे शूटिंग में कितने ही व्यस्त क्यों ना हो लेकिन हर सुबह और शाम श्री दद्दा जी से आशीर्वाद अवश्य लेतें है।आशुतोष जी के जीवन का गुरुर उनके गुरु है। आशुतोष जी स्वयं के जीवन रोचक किस्सा हमेशा सुनाते है और कहते है कि " मुझे फिल्म निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट से मिलने को कहा गया। मैं भट्ट से मिलने गया और जाकर भारतीय परंपरा के अनुसार उनके पाँव छू लिए। पांव छूते ही वे भड़क उठे क्योंकि उन्हें पैर छूने वालों से बहुत नफ़रत थी। उन्होंने मुझे अपने सेट से बहार निकलवा दिया तथा सहायक निर्देशकों पर भी काफ़ी गुस्सा हुए की आख़िर उन्होंने मुझे सेट के अंदर जाने कैसे दिया? आशुतोष जी के उच्च व्यक्तिव का अनुमान आप यंही से लगा सकतें है कि इतने अपमान के बाद भी उन्होंने हिम्मत नही हारी और जब भी महेश भट्ट जी से मिलते या कंही देखते तो तुरंत संस्कृति का मान रखते हुए उनके पैर छू लेते और वह
गरम होते। आशुतोष जी बताते है कि '" आखिर भट्ट जी  ने एक दिन मुझसे पूँछ ही लिया की तुम मेरे पैर क्यों छूते हो जबकि मुझे इससे नफ़रत है। मैंने जवाब दिया कि "बड़ो के पैर छूना मेरे संस्कार में है,जिसे मैं नही छोड़ सकता।" इस वाक्य को सुनकर भट्ट जी ने मुझे गले से लगा लिया और टीवी सीरियल स्वाभिमान में मुझे पहला रोल ऑफ़र किया। बाद में मैंने महेश भट्ट जी के साथ कई फ़िल्मो में काम किया। आशुतोष राणा जी ने हिंदी फिल्मों के अलावा तमिल,तेलुगु,मराठी और कन्नड़ फ़िल्मो में भी अपनी प्रतिभा की गहरी छाप छोड़ी है। इनकी प्रमुख फिल्में बंगारम,कलयुग,शबनम मौसी,चोट,जहर,अब के बरस,जानवर,दुश्मन,गुलाम,ज़ख्म इत्यादि है। इन्हें सन 1999 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार दुश्मन फ़िल्म में और सन 2000 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार फिल्म संघर्ष में श्रेष्ठ अभिनय के लिए प्राप्त हुआ। आजतक न्यूज़ चैनल के प्रोग्राम साहित्य आजतक में सोशल मीडिया में चले रहे क्रांतिकारी आंदोलन के विषय में आशुतोष जी ने करारा व्यंग प्रस्तुत किया और बताया कि कैसे समाज में अदृश्य क्रांतिकारी आंदोलन चलाये जा रहे है,जंहा हर दिन किसी ना किसी मुद्दे पर जुलूस और रैलियाँ निकाली जाती है और विभिन्न समूह के लोग इस आंदोलन में भाग लेते है। तथा बताया कि " देश चलता नहीं मचलता है ,मुद्दा हल नहीं होता सिर्फ़ उछलता है। जंग मैदान पे नहीं मीडिया पे जारी है ,आज तेरी तो..कल मेरी बारी है।" आशुतोष जी विगत चार वर्षों से सोशल मीडिया पर गहरी चेतना और चिंतन के साथ-साथ स्वयं के दिव्य विचारों और सार्थक आलेखों को स्वयं के प्रसंशको के साथ साझा करते है,तथा स्वयं की प्रतिक्रिया द्वारा लोगों के सवालों और समस्याओं का समाधान करतें है। आशुतोष जी साहित्य प्रेमी है व स्वयं की मातृभाषा की गरिमा को विश्वभर में बनाये हुए है।और स्वयं की मातृभाषा के लिए कहते है कि अगर आप भाषा का स्वरुप बिगाड़ेंगे तो भाषा आपका स्वरुप बिगाड़ देगी परन्तु अगर आप भाषा की गरिमा देंगे तो भाषा आपकी गरिमा देगी। आशुतोष जी का साहित्य लेखन,देश के हर उम्र व हर वर्ग को प्रभावित करती है।
आज का दिन हम सभी देशवासियों के लिए उत्साह और ख़ुशी का दिन है क्योंकि आज के दिन ही आशुतोष राणा के रूप में बेहतरीन अभिनेता,प्रवक्ता,विचारक और शालीन,उदार तथा विद्वान दिव्य पुरुष का जन्म हुआ था। आशुतोष जी आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है,      आप उस सूरज की तरह रहें जिसके पास पश्चिम हो ही नहीं. आपकी आभा हमेशा अमिट रहे. आप स्वस्थ और दीर्घायु रहें!!                                                        शुभम् भवतु🙏🙏🙏

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