
शास्त्रों में कहा गया है की मोह,माया रूपी जगत में जन्म लेने वाला व्यक्ति अगर धरती में ही अपना भगवान "गुरु" को बनाता है और गुरु ज्ञान की दिशा में अग्रसर रहता है तो पृथ्वी में उसका जन्म सार्थक होता है और उसे जीवनपथ में हमेशा सफलताएँ प्राप्त होती। शास्त्र के इसी बात का अनुसरण करते हुए आशुतोष जी ने परमपूज्यनीय पंडित देव प्रभाकर शास्त्री जी को अपना भगवान रूपी गुरु बनाया। आशुतोष जी ,गुरूजी को प्रेम से श्री दद्दा जी कहकर पुकारतें है। दद्दा जी के आशीर्वाद व स्वयं की प्रतिभा की वज़ह से आशुतोष जी आज फिल्मों की रंगीन दुनिया के चमकते हुए सितारें है। और आशुतोष जी से जब भी सवाल किया जाता है कि " कँहा फ़िल्मी दुनिया की चमक-धमक व रंगीन जिंदगी और कँहा ईश्वर की भजन भक्ति..आखिर कैसे दोनों मंचों में ख़ुद को ढाल पाते है आप? तब आशुतोष जी इस बारे में स्वयं के विचार को प्रस्तुत करतें है और कहते है कि " मैं अपने गुरु के कहने पर ही फ़िल्म जगत में आया था और अबतक 32 से अधिक फिल्में तथा अनेक टीवी धारावाहिकों में काम कर चुका हूं। आशुतोष राणा जी कहते है कि वे मध्यप्रदेश के रहने वाले सामान्य से छात्र थे और एलएलबी की पढ़ाई के बाद वक़ालत में अपना करियर बनाने की सोच रहे थे,लेकिन उनके गुरु दद्दा जी का आदेश हुआ की मैं फिल्मों में जाऊँ और इसके लिए मैं एनएसडी से अभिनय प्रशिक्षण लूँ।' आशुतोष जी कहते है कि प्रशिक्षण के बाद उन्हें एनएसडी में ही नौकरी का ऑफ़र हुआ और वह भी मोटी सैलरी पर,लेकिन उन्होंने फ़िल्म जगत में आने का रास्ता चुना। वे कहते है कि वे चाहे शूटिंग में कितने ही व्यस्त क्यों ना हो लेकिन हर सुबह और शाम श्री दद्दा जी से आशीर्वाद अवश्य लेतें है।आशुतोष जी के जीवन का गुरुर उनके गुरु है। आशुतोष जी स्वयं के जीवन रोचक किस्सा हमेशा सुनाते है और कहते है कि " मुझे फिल्म निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट से मिलने को कहा गया। मैं भट्ट से मिलने गया और जाकर भारतीय परंपरा के अनुसार उनके पाँव छू लिए। पांव छूते ही वे भड़क उठे क्योंकि उन्हें पैर छूने वालों से बहुत नफ़रत थी। उन्होंने मुझे अपने सेट से बहार निकलवा दिया तथा सहायक निर्देशकों पर भी काफ़ी गुस्सा हुए की आख़िर उन्होंने मुझे सेट के अंदर जाने कैसे दिया? आशुतोष जी के उच्च व्यक्तिव का अनुमान आप यंही से लगा सकतें है कि इतने अपमान के बाद भी उन्होंने हिम्मत नही हारी और जब भी महेश भट्ट जी से मिलते या कंही देखते तो तुरंत संस्कृति का मान रखते हुए उनके पैर छू लेते और वह
आज का दिन हम सभी देशवासियों के लिए उत्साह और ख़ुशी का दिन है क्योंकि आज के दिन ही आशुतोष राणा के रूप में बेहतरीन अभिनेता,प्रवक्ता,विचारक और शालीन,उदार तथा विद्वान दिव्य पुरुष का जन्म हुआ था। आशुतोष जी आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है, आप उस सूरज की तरह रहें जिसके पास पश्चिम हो ही नहीं. आपकी आभा हमेशा अमिट रहे. आप स्वस्थ और दीर्घायु रहें!! शुभम् भवतु🙏🙏🙏
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